“कुमाँऊणि पाठ-शाला”
(विषय- क्वँर)
परुँल- परुँ “चाँआ”(चाय) पका दे रे
परुँ- ठीक छू ईजा
“परुँवा बौज्यु क्वँर छाटँण मा लागि भाय”
(परुँवा बौज्यु चावल मे से धान के बीज अलग करने मे लगे है)
परुँ- वँयि(माँ) चाँआ दगै कै ठुँग ल्यूँ
परुँल- क्वँर चाँआ दे
परुँवा बौज्यु- क्वँर ता चाण मा लारिण (परुँवा बौज्युल सोचा मुझे बोल रही है)
परुँ- बौज्यु बौज्यु आ ईज क कै हैगु
परुँवै बौज्यु- किले रे कै कुणै त्यर ईज
परुँ- बौज्यु ईज चाँआ दगै क्वँर माँगने
परुँवै बौज्यु- अच्छा ले य क्वँर दिदै आपण ईज कै
परुँ- ओ ईजा ले चाँआ
परुँल- ला दै
परुँ- ले ईजा हाथ कर
परुँल- अब कै दिणछै रे मिल क्वँर चाँआ मागौ
परुँ- हौय क तबै ता चाँआ दगै क्वँर लिबै ऐरु
परुँवा बौज्यु- आओ भुला ददा मि बतुणु क्वँर क मतलब
(कुमाँऊणि शब्दावलि क क्वँर क दो मतलब हुणि)
क्वँर@1- चावल मे जो धाँन के बीज होते है उनै क्वँर कहा जाता है कुमाँऊ मे
क्वँर@2- इसका दुसरा अर्थ ये है क्वँर क्वँरै मतलब खालि
(“क्वँर चाँआ दे” के दो मतलब निकलते है-
1- मिठा रहित चाय देना
2- चावल से धान के बीज ढुँढना तो)
(“वँयि” कुमाँउणि शब्द जिसका अर्थ माँ है)
(“ठुँग” चाय मे प्रयुक्त होने वाले जैसे- चिनि, गुड्डँ, मिस्सरी इत्यादि को ठुँग कहा जाता है)
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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