“मैँ हुँ हलिया
कलम और स्याही मैरे बैल
कोरे पँन्नो मे यु हल चलाता
कलम और स्याही बैल दौडता
शब्द-बीज मै हु बोता
नयी फसल मे उगाता
जनहित मे इसको लाता”
दोस्तो…
“पहाडि कविता ब्लाँग”
मे आप सभी का अभिनन्दन है
मेरा प्रयास रहा है समाजिक परिवेश को अपने कविताओँ के माध्यम से आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत कँरु
“पहाडि कविता ब्लाँग”
जिसमे कुँमाउनि,गडवालि व हिन्दी भाषाओँ से अलंकृत किया गया है
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