“किले छा उदास बाबु
किले हैई उदास ईजा”
त्यर अँन्यारि चेलि छू
किले रिसाई मैहे छा
घर आई मी चेलि छू
हाथ बढै दो..
माया कूँ मी भुखि छू
ना बचपन देखि ना यौवन मेरी
पल खैडि यूँ माया मेरी
कै कसुर छी मी अबोध
तुमरि ममता कि प्यासी
पल खैडि यूँ माया मेरी
आ डौलि मा बैठि छू
पल खैडि मी आँसू छू
नानछण बटिक तुमरो मुख चाछि मी
आ ब्यौल बनि नै मुख चाना म्यर
कदिने तुम रौया घर आई चेलि छू
बाबा य आँखो मा छाया देख
तँड-तँड छुटनि य माया देख
त्यर अबोध सी यूँ चेलि
ईजा त्यर एक आँसू खातिर
सौ आँसू छुटनि मेरी
पल खैडि यूँ माया मेरी
तुम चाछिया घर मा ना चेलि हो
देखो बाबा..
डौलि मा घुँघट, घुँघट मा आँसू
लुक छुप मुखुडि सिसकनि आँसू
बचपन बटिक यूँ यौवन तलक
म्यर डाँड घालि ले नै सुनि क्यूँ..?
मी चेलि छू मुख लोटै राखि क्यूँ..?
“कै कसूर छी मी चेलि छू
आज परायि त्यर चेलि छू”
लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड