चेली (पल खैडि यूँ माया मेरी )

Aside

“किले छा उदास बाबु
किले हैई उदास ईजा”
त्यर अँन्यारि चेलि छू
किले रिसाई मैहे छा
घर आई मी चेलि छू
हाथ बढै दो..
माया कूँ मी भुखि छू
ना बचपन देखि ना यौवन मेरी
पल खैडि यूँ माया मेरी
कै कसुर छी मी अबोध
तुमरि ममता कि प्यासी
पल खैडि यूँ माया मेरी

आ डौलि मा बैठि छू
पल खैडि मी आँसू छू
नानछण बटिक तुमरो मुख चाछि मी
आ ब्यौल बनि नै मुख चाना म्यर
कदिने तुम रौया घर आई चेलि छू
बाबा य आँखो मा छाया देख
तँड-तँड छुटनि य माया देख
त्यर अबोध सी यूँ चेलि
ईजा त्यर एक आँसू खातिर
सौ आँसू छुटनि मेरी
पल खैडि यूँ माया मेरी
तुम चाछिया घर मा ना चेलि हो
देखो बाबा..
डौलि मा घुँघट, घुँघट मा आँसू
लुक छुप मुखुडि सिसकनि आँसू
बचपन बटिक यूँ यौवन तलक
म्यर डाँड घालि ले नै सुनि क्यूँ..?
मी चेलि छू मुख लोटै राखि क्यूँ..?
“कै कसूर छी मी चेलि छू
आज परायि त्यर चेलि छू”

लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

प्रधानी

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ऐगै रे ऐगै
पार धार प्रधानी
पँचो कि स्याणी
साल भैरि एक बजट
सार मजदुरी घर चँडै
जन बँकुरी देव चँडै
गौणू मा यू बौई रे
वोट कू यू डौई रे

देखै रे देखै
विकास कि फौख
सार गौ बिखुडि
अन्चौ कि पन्चौ कि
गौ बाँटा मन्चौ कि
ब्लौक मा छौई गै
सार बजट निगेयि गै

खेगै रे खेगै
पार धार प्रधानी
बाँट बोल चौमास धौई
रुँडि दिन स्वँजल छौइ
त्यारो ही जय जयकार

केगै रे केगै
वोट कू बोट लगै
लम्ब पुछौडि जन प्रधानी
यैक छण आँखा चार
सार गौ खसौडि तार

ऐगै रे ऐगै
पार धार प्रधानी
पँचो कि स्याणी

लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

घस्यार

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जब बनती है घस्यार तू
डाँल देख घै कू सैप
कर देती माँटि छैक
सिप छू उजाडि हाथ
तेरो ही निशाणि साथ

चार आँठ्ठ तल-मल
छैकि तेरो हाथ
दगडि घस्यारि त्यार
बिछण हे जानि म्यार
मौसि-मासि भिडँ लाल

स्याँर कि खँरुणि तू
घाँ कि चँरुणि तू
उपँरु कि स्यार कि
सबू कि मँवाशि कि
कर दीछि तू मँलाल

डौई रुछै आर-पार
नजर बचै कि लाख
बैठि रुछि त्यर पछिण भेद
कैक हाथ नै लागणि सेद
जब बनती है घस्यार तू
ख्वँर डाँलू हाथू मा मुबाईल यार

लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

‘परदेश जानक ता बाँट बन दे घर उनक नै खोदी बाँट’

Aside

‘परदेश जानक ता बाँट बन दे
घर उनक नै खोदी बाँट’
धन्य हो हे सरकारा
‘गौरु-बाँछा जै लैगिण बण
गौरु-गाँवा जै रैगिण घर’

तिनक-तिनक बै जोडी पहाड
बुँढ-बाँढियो लै हाँट बाँट्ट ताड
सिढि नूमा यूँ खेत बनाई
फल-फुलू कि डाँई उगाई
“नान-मुन राला… गँढ-भिड खाला”
धार आँगण कि कथा सुनाई
रित-रिवार्ज कि जोत जगाई
अदभुत सी यूँ पहाडु सार
सँजै बै रखि छी यनुल पहाड
जणर लिजि यूँ जतण जताई
घर आँगण कि बेदि आस
“परदेश जानक ता बाँट बन दे
घर उनक नै खोदी बाँट”

झुरि रुणि पहाडु कूँ हिटणी बाँट
कस अजाब जै खुँड-खुँड धार
हौसी आँख नै पौछी आँश
धन्य हो हे सरकारा
“गौरु-बाँछा जै लैगिण बण
गौरु-गाँवा जै रैगिण घर”

लेख- सुन्दर कबडोला

खुशि दुख कि छै तू चेलि.. एक आँसू

Aside

चेलि तू आँखै आँस छै
लाँख कौशिश करल्यु त्वील भैरे उण
तू खुँश हौलि या तू दुख हौलि
“चेलि तू म्यर दाँर म्यर आँखै आँस”
तू ऐछि घर खुँश आँस बनि
तू जछि घर गँम आँस बनि
आँख पुँतै बँद करल्यु चेलि
तू पानी छै परघरक भाँन
तू दान छै म्यर आँखै आँस
तू आलि या तू जालि
म्यर आँख पुतैई धै भेटलि चेलि
म्यर चेलि म्यर आँखै आँस
जब तू हैसि हैसि म्यर मुख चालि चेलि
डब डब म्यर पलको मा तू हैसि हलि
जब त्यर मुखुडि मा दुख म्यर आँखो मा हौलि
त्यर चिन्ता ले उथल पुथल
त्वील भैरे उण म्यर आँखै आँस
खुशि दुख कि छै तू चेलि.. एक आँसू

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

बुँत

Aside

चाँड पौथि उठणि वै
तू उणरि दगडि छेवै
ऐ कुँमो आँचल कि नारि वै
राति भौर ठा उठणि छै
आँगण झाड चुल लिपणि छै
त्यर यूँ दिन चरिया चढ
पजै चढु यूँ सुरज गँढ
गँढ बै उछै घाँ कू डाल
गौर भैसि मौऊ गाडणि छै
चूल भाँण कर
एक पल रुक जा
हाँवू ब्याँऊ फल फुलू पाँत
तू नि रुकणि ना यूँ बगदू पाणि जन
जै दिन रुकलि…
“थम जाल यूँ माटि अँन
गौर भैसि दुधाँरु थँन”
सुख दुख स्यौतू जन टिपणि छै
लाँकड पिरुग घै कू डाल
ख्वँर पडि छू भौते भार
हिटणि छै सौ कोसू पार
सुरज छिप जा
नि छिपण यूँ तेरो बुँत
नि छिपण यूँ तेरो बुँत

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

हे ग्वँल देवा

Aside

हे ग्वँल देवा
करदे कृपया हे कृपालु देवा
“भिझि आँख भिझि बाँथ
हे ग्वँल देवा धँर दियै लाँज”
देश रक्षा खातिर शरहद मा आज
गौ-डाण्डि मा बैठि म्यर ईजा आस
हे ग्वँल देवा धँर दियै लाँज

गँढ-भिड मा हौलि म्यर ईजा
पानी कू तिषू..
एक घुँट पाण दिणि देवा
शरहद मा घुँट-घुँट रुणि
हे ग्वँल देवा
मनिख बनि..
एक आँचुई दिदिया पानी!
एक आँचुई दिदिया पानी!

ग्वाँड किलू कू जूँ धरणि देवा
त्यर थाँणू कू जूँ जलणि देवा
गँढ बै आलि ख्वँर हौलू बौजा
आपण धरा नरम कर दियै देवा
खुँट मा कान बुडि हौलि देवा
आँख नि दैखण..
मनिख बनि कान निकायि देवा!
मनिख बनि कान निकायि देवा!

ईज हौलि चौथार मा बैठि
म्यर चिट्टि ईज हाथो मा हौलि
अनपँढ छू..
मनिख बनि चिट्टि पँढ दे देवा!
मनिख बनि चिट्टि पँढ दे देवा!
सकुशल छू के दे देवा
एक हँवा कू झौका दे दै
आपण मुँया ऐहसास तू दे दै
हे ग्वँल देवा
मनिख बनि पौछ दियै आँसू!
मनिख बनि पौछ दियै आँसू!

हे ग्वँल देवा
म्यर ईजा कष्ट दिदै मैगे झट
हे ग्वँल देवा करदे कृपया
टयड मयड बाँटा सिद करनि देवा
गौरु बाछा गौरु गाँवा देवा
त्यर जोत जलै पलटण मा देवा!
त्यर जोत जलै पलटण मा देवा!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

साँस सौरा, दी ब्वाँरि खेल- ‘न्याँर’

Aside

साँस सौरा, दी ब्वाँरि खेल- ‘न्याँर’

ब्वाँर कुण्यि च्यँल सुडि राय
गौ कू शेर पुछड हिलुणै राय
ठुँल नान भै देखि नटखि राय
दी ब्वाँरिक बीच खेल चलणै राय
सैण मैस क कान भरणै राय
दी ब्वाँरि धूँ..
भैर वाल धुँमण दैखणै राय
“न्याँर हैजाणु मनशा हाय”
चाहा घुटुक लगुणै राय
“मी गुँई हिसाब दिणै रौय”
च्याँला टुकुर टुकुर मैहे चाणै राय
म्यर आँख पुतैई ब्वाँर कुणै राय
म्यर सुपणियू चूर चूर करणै राय
एक चूँलक तीन भागो करणै राय
नानछण बटिक जो मुख चाँछि म्यर
आ ठुँल हैबे आँख दिखुणै भाय
लाग पड बै दी हैगिण न्याँर
सुयूड बटि लुकुँड ले न्याँर
ईज बौज्यु दी भागम बटणै राय
तब समझि मी ब्वाँरियू खेल
न्याँर हबै परदेश जाणै राय
लाग पड बै..
“हम दी बुँढ बाँढि कर गीण न्याँर”
मी बुँढियक मुख देखि हँसणै राय
“ईजा बौज्यु आस अँछ्याण धँरणै भाय
साँस सौरा, दी ब्वारि खेल चँलणै हाय”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

‘उल्झै नै प्यारु कू डौरा सल्झै दै मेरी प्यारि राधा’

Aside

माँटि कू खिलौणा नै टुटि जावो
जतै दियै वै भल जँतलन
समाय रखै जिकुडि काँखा
नाजुक छू बन्धन कू नाँता
मि छू तेरो पागल पँछि
जतै दियै वै भल जँतलन!
जतै दियै वै भल जँतलन!

‘टुट जावो ना देखि साँघ
कँडु बचण नि बोलि राधा’
प्रित खिलै वै बारोमासा
बचण नि तोडि मेरी राधा
मि छू तेरो पागल पँछि
जतै दियै वै भल जँतलन!
जतै दियै वै भल जँतलन!

सात बचण कू मेरी राधा
भ्यौ भग्याँरु नि छोडि साथा
अँध राता कि मेरी जुनि राधा
भल कै निभैयि रिश्तो कू गाँठा
मि छू तेरो पागल पँछि
जतै दियै वै भल जँतलन!
जतै दियै वै भल जँतलन!

‘उल्झै नै प्यारु कू डौरा
सल्झै दै मेरी प्यारि राधा’
पिणौलि पाँता रँड जालि पाँणा
जो प्रित लगायि त्वैमा राधा
काँचै पाँकै साँचि प्रिताआ
मि छू तेरो माँटि कू खिलौणा
जो प्रित बिशै किले मैमा राधा
मि छू तेरो पागल पँछि
जतै दियै वै भल जँतलन!
जतै दियै वै भल जँतलन!
जतै दियै वै भल जँतलन!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“मैसल माँट खाँय माँटल मैस कू” (कुँमाऊनि लोक कविता)

Aside

“मैसल माँट खाँय
माँटल मैस कू
फिर ले मैस कू मैले माँट खै”
सार जँन्म ता दर्प दँहा करि
सुड अनसुडि जै अजाँब करि
दी मँण माँटि या वा सर कुणै रो
ल्यौ ले गो माँटि मा या वा को
बोल ता नै मीठा दे पाय
पैण नानतिणा मा लगै गो हँकार
सार जन्म ता नै पुछि कैकु
नै सुण कैकि अपणु मनक करि
अब दब्यत बनि त्यर हँण्ख पुजै जलि मैसा
तू बाँट बन गैछे अब नयि पिढि कू मैसा
चौ बाँटा नि धरिया खूँटा
अब पितँर बणि गै छे मैसा
दब्यत समान पुजि गैछे मैसा
“बोट कू डाँल
डाँल कू पाँत
बणि गैछा मैसा”
दुँब जस हैगेछा मैसा
सुख दिणै रैया मैसा
क्याप जस नै करिया मैसा
त्वील जाण याबै माँटिल रुण यै मैसा!
त्वील जाण याबै माँटिल रुण यै मैसा!
“कैले गौई बटि मारि मैसा
मिले गुँई बोल बटि मारि मैसा”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

का मिलू नसिब कूँ? -कुँमाऊनि कविता-

Aside

ओ लाटा..
“लुर-लुर वल धाँरु रे पल धाँरु
लुर-लुर मैसू धैई लुरिणै रोले”

भल लागू मन.. म्यरो पहाड मा
जै कुँछा काकि ताँई बौडि हो
भल लागू मन.. म्यरो पहाड मा
ऊँचा निचा धाँर.. छू या
ठँण्डो मिठो पाँण.. छू या
वाँरु पाँरु धैँ भेटु अँगाश
का मिलू नसिब कूँ?
भल लागू मन.. म्यरो पहाड कूँ!

रितु उणि बारामास
बेडु पाँकु काफल चैत
चैत लाँगु त्याँरु मैत
का मिलू नसिब कूँ?
भल लागू मन.. म्यरो पहाड कूँ!

पहाड बोलि याँछू रँगत
या उँकाल या हुँलार
काम काँजू मा याँछू छैक
सुख दुखै मा सबै एक
का मिलू नसिब कूँ?
भल लागू मन.. म्यरो पहाड कूँ!

सौण भादो कू रुडमुड बरखा
पूष माघ कू ओशि रात
आँगन तापि दिन घामा
का मिलू नसिब कूँ?
भल लागू मन.. म्यरो पहाड कूँ!

कैकु ले दुख लागि जाला
को जताणि छू पिडा..?
नान मुना सब परदेशु बाँटा
हिल मिल रु वै काकि ताँई
गिनदे मैसा गिनती का
रात अँध राता जै हैगे पिडा
छिलुक उजाँऊ म्यर गौ कू बाँटा
का मिलू नसिब कूँ?
भल लागू मन.. म्यरो पहाड कूँ!

पितरो कि म्यर भुमि या
पाण जननि सिल छू या
राति ब्याँखुण घँटि गूँज
धार देव कू मन्दिर या
का मिलू नसिब कूँ?
भल लागू मन.. म्यरो पहाड कूँ!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

“धार पँछि क्युँ उँडि गै आ” {कुँमाऊ कविता}

Aside

“धार पँछि क्युँ उँडि गै आ
घँव्ल आँगण क्युँ टूटि गै आ”
कै नि दे जो तुमकू चै..?
कै कम पड गो..?
य धार ले तेरो…!
य गाड़ ले तेरो…!
नि चैणू मैगे
तुम रख ल्यौ सभै
“म्यर आँचल बिन तेरो
धार निशाँषि मन मेरो”

पाँखा बन..आ लौटि आ
दूर गँगन बै तूँ औरि आ
अमँल लागि यूँ भारि मन
जेठ पुरि कूँ चडँकण घामा
माँघ बनि तूँ दौडि आजा
तुम बिन खालि
य गौ बाँटा मेरो
सौण भाँदो यूँ टूटि राता
एक फटक तूँ आजा आ
दी खँपिरु ढुँग जोड लगे
“काँटू उणि.. बिन तेरो बाँटा
का उँड गै चैन.. पार धाँरा”

बाँज बुँराशि फल फुलू दे
खाण पिण कूँ माँटि दे
आ निशाँष..क्युँ छोडि गैछा
कै लँग लागू…?
कै लँगल छोड कुँमाऊ…?
क्वैल निमैयि माँटि जि-जा
अँतरै गाँठि जरा कस बै मारा
अँमल लागि यूँ तुमरो बाँटा
“धार पँछि क्युँ उँडि गै आ
घँव्ल आँगण क्युँ टूटि गै आ”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

जो ना लोटा… पहाडो मे इन

Aside

हिसालू किरमोली देखे बाँट
ना जाने किसका..?
नये अँकुर बनने कि चाहत
सौण भादोँ को ताँक रहे
जो निकल गये पहाडो से दुर
बादल कि ओ पहली टोली
थिरँक गये ओ माँटि आँसू
जो ना लोटा… पहाडो मे इन

जस कै पिडा..
हँल रोऐ बिन माँटि हलिया।
अखोलि मुसौलि बिन धाँनु रोऐ॥
आँगण रोऐ बिन नानतिण।
गौरु ग्वैट बिन गौरु रोऐ॥
नौला रोऐ बिन पणैरु॥
दाँथुलि बिन घस्यैरि रोऐ।
बौज्यु रोऐ बिन सहार॥
ईजा आँचल बिन बेटा रोऐ।
सकुन तपुन बिन रोऐ मौह्ट॥
जो निकल गये पहाडो से दुर
रोजि रोटी कि ओ पहली टोली
थिरँक गये पहाडो के आँसू
जो ना लोटा… पहाडो मे इन

गरँज रहे ये चमँक रहे
थँम गये ओ काले बादल
जो निकल गये पहाडो से दुर
पँक्षियो कि ओ पहली टोली
थिरँक गये ओ बादल आँसू
जो ना लोटा… पहाडो मे इन

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड© 2013 copy right, All Rights Reserved

♥♥सच्चु प्रेम बदँऊ♥♥

Aside

♥♥सच्चु प्रेम बदँऊ♥♥

तूँतै फुल छै मेरी
रमुलि नौ वौली
राति-ब्याँखुन
मन मा मेरी
घँव्ल छू त्यरो
जिकुडि मा म्यरो
तिनकू-तिनकू
जोडि माया
प्रेम घरोदा
त्वैते जोडि
जब तूँ हुछि
मैथे दुर
पल-पल रुँछि
त्यर आभास
कसि बतु मी
सच्चौ प्रेमि त्यारो
हर साँस अघिल
त्यर नौ यूँ चलनि
फिर चलनि
यूँ साँस छू म्यर
तूँ मैथे
करले सो
सिच बै रखलि
हर मोड पे यैथे
प्रेम का पौधा
तेरे मेरे प्रेम के जैसा
उछि जाछि बारामास
बिछुडि गै
जैसे झँडनु बोटि पाँत
आँसु टपकै वेग: आँत
दुर छू त्वैते
उछि देख
गम कू बादल बरसि गीण
मी निष्प्राँण त्यरो बाँट
अब ता
हैसि-हैसि
मरनु चाणु
त्यारु प्रेम भँवर मा
तेरो सँग प्रेम छू जोडि
टिप लैई मैगि
जिकुडि मा अपनु
मौते तै पैलि
सच्चु प्रेम बदँऊ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु

Aside

जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु
पढै लिखै.. कै छुटि सहार
रुलुनि छा.. रुँलै दियौ हो
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
गौ शरहद नि.. गै कबै पार
आ तरु.. जिद छू तुमरि
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
जसकै काटि.. दिन तुमलै
तसकै कट.. जाछि दिन मेरा
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
गौ शरहद नि लाँघि कबतै
कसकै काटुन बिन तुमरो
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
दिदियौ आशिक..
साल भैरि एक महैणु छुटि
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
मी अफसर बन त्वैते दुर
काक नियम छू बौज्यु बोलो
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
तेरो आँश यूँ तेरो आँसू
नि टूटि देवा.. मी जानु आ
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
परदेशु जुन.. कै दगडि रुण?
नि झुरिया मन.. मी कस कै खुण?
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
बाँटुलि भैजुण.. घुट घुट नि करिया तुम
उण जब चार दिन.. माया नि जोडि तुम
जा कुनछा.. मी जानु बौज्यु।
तुमरि कुँड मा चार दिन कू महेमान
आतिर खातिर नि करिया भौते॥
आतिर खातिर नि करिया भौते॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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पितण हैग्यू क

Aside

ठुलै छू कारबार
बुति को चौलबोल
दुर दराजु खेता मा
किले बिवाई धारो मा
पितण हैग्यू क

बतिस नाँय जमिन मा
उपरु कू कोणि मा
स्यारु कू धानि मा
आँठ थाँण ग्वैटि मा
सौला छाँण घैरि मा
पितण हैग्यू क

लुट क लुटाणि मा
बुत क किसाणि मा
जेठाणि छू सैठाणि मा
बुँत कू बताणि मा
पितण हैग्यू क

राति रँव्ट एक छाँप
आँठ डाँल दुरकाटे घाँस
दी थाँप मौऊ सैत
दिन भैरि साँरि खेत
पितण हैग्यू क

भैसि कि पिऊणि चार
आँख लागि मेरो घात
अँखो मुँसो मिले धुँस
सुँभ छिटि मेरो बुँत
पितण हैग्यू क

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“कस हैगे निना, उठ जा भागि ताति पाण, मुँ धौ ले भागि” -कुँमाउनि कविता-

Aside

“कस हैगे निना, उठ जा भागि
ताति पाण, मुँ धौ ले भागि”
माँघ रात नान हुणि दिना॥
कब उठलि तूँ जाँडु दिना॥
लम्ब हुणि रात,दिन माँघा
उठ जा भागि छाँउ छँरपट
कुँविडि छै रे वारु पारु
गौर भैसि ले खुँज गीण बण
“कस हैगे निना, उठ जा भागि
ताति पाण, मुँ धौ ले भागि”
माँघ रात नान हुणि दिना॥
कब उठलि तूँ जाँडु दिना॥

किले हैई तूँ तस अँकुई
गीज्जँ मा तेरो दाँत नही
पेट मा तेरो आँत
दी पशैरि मँडुवा पिसुँवा
ताँबा पराद गूँथगै पिसुँवा
आँठ रँव्ट मचकै माँघा रात
तडकै हैलिण खँटमल चार॥
तडकै हैलिण खँटमल चार॥
“कस हैगे निना, उठ जा भागि
ताति पाण, मुँ धौ ले भागि”
माँघ रात नान हुणि दिना॥
कब उठलि तूँ जाँडु दिना॥

इस्कुलि नाँन स्कुलि हैगिण
दस बाँजि कू खिलगै फुल
ध्रुँर जगौऊ घशैरि ऐगिण
त्यर हड नि हरकि, कस हैगे निना
थ्वँर बाँछि औराटि पडगै
त्यर निना घुँर घुँर सुन
य कारबार ले हैगो टुँप॥
य कारबार ले हैगो टुँप॥
“कस हैगे निना, उठ जा भागि
ताति पाण, मुँ धौ ले भागि”
माँघ रात नान हुणि दिना॥
कब उठलि तूँ जाँडु दिना॥

उँपन खँटमल हैरिण दन
त्वील झुराई मेरो मन
उठ जा सुवा ग्नैलि जूण
चाँड पौथि ले उँड गीण दूर
पार भिड लैगे उँजाडि बँल्द
बाँड खुँडा यूँ बाणर भागि
चुई उचैडल उठ जा भागि॥
चुई उचैडल उठ जा भागि॥
“कस हैगे निना, उठ जा भागि
ताति पाण, मुँ धौ ले भागि”
माँघ रात नान हुणि दिना॥
कब उठलि तूँ जाँडु दिना॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

बागश्रेरि लाँयु नौ पट्ट घघरि… रुकमा “कुँमाऊनि गीत कविता”

Aside

बागश्रेरि लाँयु नौ पट्ट घघरि… रुकमा
त्वीले मारी हन्तर घन्तर..
त्वीले मारी हन्तर घन्तर..

निल अगाश घघरि रुकमा
डोरि चम चम ललैणि रुकमा
ढाई माणै कि कमरि त्यर
ढाई आणै कि घघरि म्यर
आहा रे सुवा
कसवैण रँग.. तूँ
सुणै जै डिण
उछि जाछि
मँडुवा टिपछि
खाछि पिछि
छा फानछि
भौते भारि एक आँचुई दिदै पाणी॥
भौते भारि एक आँचुई दिदै पाणी॥

निला धाँग सिल दे टेलर
रुकमा नौ म्यर सुवा छू
नौ पट्ट घघरि सिल दे टेलर
बागश्रेरि लाँयु नौ पट्ट घघरि… टेलर
नौ पट्ट घघरि सिल दे टेलर॥
नौ पट्ट घघरि सिल दे टेलर॥

घघरि पैरि जब जालि कौतिक रुकमा
त्यर जस क्वै ना अणकसै रुपे रुकमा
खूट बाजल पायल छम छम
आहा रे सुवा
“कसवैण रँग.. तू
सुणै जै डिण
पैरि ले घघरि सँग
तू रिँग जालि वै
सात फैरु सिण”
उछि जाछि
मँडुवा टिपछि
खाछि पिछि
छा फानछि
भौते भारि एक आँचुई दिदै पाणी॥
भौते भारि एक आँचुई दिदै पाणी॥

उछि जाछि
मँडुवा टिपछि
खाछि पिछि
छा फानछि
बागश्रेरि लाँयु नौ पट्ट घघरि.. रुकमा
त्वीले मारी हन्तर घन्तर..
त्वीले मारी हन्तर घन्तर..

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“समाल रखि छू शहरद गौ कै पत्त कै गोलि मा लैखि नौ”

Aside

“समाल रखि छू शहरद गौ
कै पत्त कै गोलि मा लैखि नौ”
ऐ मेरो रँगरुटि भुला
तुम आया म्यर जाणु बाद
जबै तलक छू जूणि सँग
ऐ मेरो भुला ददा
तुम हैसि खेलि रया सँग
समाल रखि छू शरहद गौ
जै गोलि आल धरति माँ पै
लँहु गिरा दूँ ना बढने दूँ
र्निझक रैया…
सिना ताने.. नौ गोलि सिना म्यार
कुँमौ सिपै छू गँढ रेजमेट
शरहद मा लागि जूँ मरणु हम॥
शरहद मा लागि जूँ मरणु हम॥

“समाल रखि छू शहरद गौ
कै पत कै गोलि मा लैखि नौ”
चिट्टी आलु…
गौ बाँटा तुम पढणै राँया
शरहद बै उँण हे सुवा प्यारी
वचन ना टूटै हे भगवती माँत
हिट बै उँण…
नि ता चार कन्दो मा प्यारी॥
नि ता चार कन्दो मा प्यारी॥

“समाल रखि छू शहरद गौ
कै पत्त कै गोलि मा लैखि नौ”
बौज्यु नि ऐ पायी मी
ईजा आँसू थाँमि लिया बौज्यु
जब होलु घर मा त्यार
धर दियै म्यर बानि त्यार
सकुशल मी लौटि उँण
नि ऐ पायी.. म्यर बानि भोग॥
नि ऐ पायी.. म्यर बानि भोग॥

“समाल रखि छू शहरद गौ
कै पत्त कै गोलि मा लैखि नौ”
म्यर बेटा तू धर दिये लाँज
य ईजा कर्ज…
तर दिये य धरति फर्ज…
तू निभै दिये रे मेरो बाद॥
तू निभै दिये रे मेरो बाद॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

वँढ सरकै…हे ब्वारि ठुल!

Aside

वँढ सरकै…हे ब्वारि ठुल!

लो हैगे धुँमण गँड भिड लागो घुमण
सैणियो कँच दाथुलि ठँण
एक हाथ सरगो
ब्वारिक हाथ जैठानि चढगो
लो हैगे धुँमण गँढ भिड लागो घुमण
ऐच पेच स्याँडा बैठ
साँस सौरा ख्वर मा घैच
जेठ पुरी मा हैईण न्याँर
असोज लगि दर्पिल त्याँर
नि चलि बस मा गँढ
काँन भरि मैसि पँढ
वँढ सरकै बाँट फरकै
खुँसाणि खुँण ब्वारिक धुँन
दब्यत लोटाई ब्वाँरि गुँण
सौरा गीज बिडि मुँण
धुँगरि पट हैई धुँमण
बुँढ बाँढि क कैले सुँण
जूण मरि आँखण घुँर्ण
जूण मरि आँखण घुँर्ण

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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म्यर देश कुँमाऊ

Aside

तूँ काफल छै
कि तूँ बुँराश
देव-दारा धुँर
म्यर देश कुँमाऊ
“तू नँन्दा वेश
तू भगँवति केश”
सरियु गोमति लहराते खेत
मडुँवा झुँगरा छै कै दन
अल्मोडि धार
रानिखेती रौनक चार
नैनिताल अदँभुत ताल
चार चाँद कि छै कौसानी
बाँगश्रेरि कू देवी थाँण
कोट भ्राँमरि देवी थाँप
घुघति कि है मार्मिक गाँथ
भै बैणि कू बँन्धन मोल
म्यर देश कुँमाऊ बोलि शान
ईजा बोल माया कोष
म्यर देश कुँमाऊ सौकाँरा तौल
तू छै लाट
तू छै बाट
सार कुँमाऊ सँत रँगि गाँठ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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ह बल्दा हँअ हँअ हँअ

Aside

कयि ले खैरु ले

दे हिट दे बल्दा
नि कर देर
दिन चढ गो ऐगो घाँम
स्याँर गुँज हँयू कू हाँख
अकुई हयि कू बुढ बल्दा
चम चम हिट दे
ना डौडारि छम
गुसाणि पुँज गै रव्ट छपरा
गाई दैलि बल्दा
स्याँर खुँज गीण मैसू बल्दा
ह बल्दा हँअ हँअ हँअ

दे हिट दे बल्दा
डुँक डुँक…
चार मिनाऊ सिकूँ चार
डुँक डुँक…
दै हिट दे बल्दा
गढ आँद उँड जाल बल्दा
लागि रो चडकण घाम
मौय मा डैलु ढुँग हैजाल फेल
ऐजाल स्यार स्यारि शामत
ह बल्दा हँअ हँअ हँअ

कनाऊ इचाऊ किले बिरौडि रैछे
दिन ढल जाल बल्दा
स्यार मौसारि पार
दे हिट दे बल्दा सिकूँ चार
हल च्परा डिल हैजाल बल्दा
दिन चडकण घाम सिखुडै कू खाण
चम चम हिट दे गुसाणि थाण
चम चम हिट दे गुसाणि थाण

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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प्रवासी च्यँला “कुँमाऊनि पिडा कविता”

Aside

म्यर पिडा मा दी मीठोँ बोल
ऐजा बेटा म्यर साँसू डोर
छुट जाल म्यर जूणि आल
समालि रखि छू साँसू ढाँल
म्यर पिडा मा दी मीठोँ बोल
ऐजा बेटा म्यर साँसू डोर

तू दौडि आ खाँप सुख गे बेटा
माया डोरि टूटण तै पैलि
म्यर पिडा मा दी मीठोँ बोल
ऐजा बेटा म्यर साँसू डोर

म्यर धात लगै तू दौडि उछियै
नानछिण कू म्यर साँसू डोर
ईजा टुकुड रे रुकणि साँस
म्यर पिडा मा दी मीठोँ बोल
ऐजा बेटा म्यर साँसू डोर

मुखुड दिखे जा दी मीठो बोल
ईज आँचल रडँणि साँस
रुक प्राणि झिट घँडि
“म्यर लाडलु बेटा
म्यर जीवन साँस
म्यर उठुडियु हैसी
म्यर आँखा आँसू”
दौडि आल प्राणु साँस
साल बिति रे चार, बेटा
लाचार पडि रे तेरी ईजा
म्यर पिडा मा दी मीठोँ बोल
ऐजा बेटा म्यर साँसू डोर
देश विदेश रुणि वाला
म्यर आँख्यू तारा बेटा
म्यर आँख्यू तारा बेटा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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ओ लाटि ख्वँर लटुलि त्यर उलझि रुणि जूँवा देखै लिख्ख ले मुणि रिटणि हुणि बाँलुड मा कँगडि जूँवा कण बरकि जाणि “गौ गुठाँरु हल चल छा परुँलि ख्वँरण जूँवा छा”

Aside

ओ लाटि
ख्वँर लटुलि
त्यर उलझि रुणि
जूँवा देखै
लिख्ख ले मुणि
रिटणि हुणि
बाँलुड मा कँगडि
जूँवा कण बरकि जाणि
“गौ गुठाँरु हल चल छा
परुँलि ख्वँरण जूँवा छा”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“त्यर याद मा”

Aside

“देख सुवा
एक लेख”

सामने बैठि शिशे मे
दपर्ण त्यर आँखो मे
कैसे बोलू…
“तू प्यार नही
तू सपना मेरा”
चाँद कँहू या तारा तुझको
रात को आती सपने मे
सुबह को उझौल आँखो से
सजोग हमारा.. कुछ ऐसा देख
“तू है मुझ मे
मे हुँ तुझ मे”
फिर भी…
आकाश धरा सी दुरी हम मे
हँवा के जैसे मन मे मेरे
दूर गगन मे…
टूट रहा एक तारा देख
कैसे माँगु…
“एक मिलन की बेला मे
उस मिलन कि दुरी मे”
फिर जो…
आँसू आते पलको मे
एक सैलाब उस दुरी मे
सजोग हमारा.. कुछ ऐसा देख
‘शीशे मे देखो दर्पण तेरा’
“ये झुठ नही
ये सच नही”
कुछ खट्टा मिठा रिश्ता है
“दूर भी तू
पास भी तू”
मै सच कहू
ये प्यार तुम्हारा
जो लिखने को प्रेरित करता
“मै कवि नही
ये सच नही”
ये कैसा जादू मुझ मे तेरा
“कागज कलम से लिख दूँ
सच्चे प्रेम का डोर हुँ तेरा”

-मृद मे उपजा एक अँकुर जैसा
तेरे मेरे प्रेम के जैसा-
(My life valid in your life)

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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झणकि स्वैण

Aside

मुख सामणी
झँगड नि करणी
स्वैण ऐबेर
झाँकर उचैडणी
सवाल जवाब ना
किले पै किले पै
किले लगुछि
आपण समझि स्वैण मा उछि
म्यर मुनँई किले भटकछि
सीतण नि दिणि स्वैणू मा
वल फर्कुछि पल फर्कुछि
शुभग धान समजी
पै लिजाछि
अखौलि मुसोलि
दे दना दन म्यर मुनँई
इँखार लगाई दम मुसौई
शुभमा छिटि म्यर पराण
राति हुणि मा टेम ले बाकि
त्वील लगाई द्वार कुटाई
वल छलकाई पल छलकाई
खूटल मारी ईथा उथा
म्यर स्वैण हराई
त्यर घाण पुराई
राति ब्याँण स्वैण कूटाई

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“न्यौत-दारु हिप-होप”

Aside

“न्यौत-दारु हिप-होप”

आता है न्यौत
तू जाता है बारात मा
एक थाली पैच मा
टिक पिठा लात मा
नाचता है बारात मा
कर देती है घेल
दाँरु पै… दाँरु पै…

रौनकि बारात मा
लग जाता है ग्रहण
बिन यैक भी नही
बिन वैक भी नही
दाँरु पै… दाँरु पै…

एक घुँटि मारि त्वैल
डर जानी ब्यौलि वाल
जब त्वै…
डोरी य बराति मा
सुख जानी ब्यौलि प्राँण
दाँरु पै… दाँरु पै…

त्वीले डालि अडँग धैँ
बरैति खाणु पैण लैण
लड मर उरैहे चैण
लड मर उरैहे चैण
हाय रे दाँरु पैण
भारी पडि टैहेलु दैण
दाँरु पै… दाँरु पै…

आलू पाकि ठुले ढैग
सबु मुख उशाई देख
सबु मुख उशाई देख

दाँरु बिना.. होता नही काम
कच्ची पक्की कुछ भी दो
ऐसा है समाज…

“लेख जारी रोल हिप होप
समाज मे काम दाँरु रोल..
तब तक”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“फैशनि हिप-होप”

Aside

जब जाती छै बाजार
तू करती है मुँखाण
अणकसै रँगो मे
गलडु कू गाल
करती है लाल लाल
देखा क्वै…
काफल भी फेल त्वै

रँगो कि लुकुडि मेल
आँखा मा चश्म रेल
हिप होप करती गेल
गरुडै बाजार भैऐड

ब्लैरो कू गाडि मा
अगिले कू शिटै मा
मुडि मुडि देखि तू
आम्मा बुँबू चूँई तू

चिर जाछि है लदौड
जब जाती है बाजार
ब्युटि पार्लर मा लगूछि छुई
कट जाती तेरी चुई
कहते बल… बोबि कट… बाँल छू छू…

ख्वँरि तेरो लँट नै
फैशन कू रँट
हिप होप करती तू
दुकानदारा चायै दँग

नेगी कि चेलि छै
राँवत कि ब्वार
बुँत कि छै तू… बँजर पडि चोट
फैशन कि छै तू… पुर फुरि मिजात
हिप होप करती छै
रँग कू कसवैण
जिन्स पैणि टोप मा
साँस सौरा बुत मा
करती है मुँखार्वाण
फैशनी कि तू.. करती है
चुटाण हा हा करती हे चुटाण

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“चार दिनु छुँट्टि उँछि दी दिनु तू मैत जँछि”

Aside

चार दिनु छुँट्टि उँछि
दी दिनु तू मैत जँछि
हे सुवा
नि दुखैई मन मेरु
परदेशिया पँछि तेरु

पाण क गिलास स्वामि
पाण क गिलास
एक घुँटि मा त्यर बाँटुलि
नि बुँझण हो तिष स्वामि
नि बुँझण हो तिष
दी चार दिनु छुँट्टि तेरो
माय लगै तू र्फूर उँडै
परदेशिया पँछि मेरो
मि जाणु हो मैत हो
मि जाणु हो मैत हो

दुध क उमाल भागि
दुध क उमाल
नि थामिण हो सुवा मेरो
तू ले जालि मैत हो
मन मेरो उदास भागि
मन मेरो उदास
दी चार दिनु छुँट्टि उँछ
तू लैजाछि मैत उँज
तू लैजाछि मैत उँज

ब्याँव क स्वैण स्वामि
ब्याँव क स्वैण
परेदेशु मा जैबे हो
भुल जाँछा मैगे हो
रात ब्याँखण स्वैण जै
मि ता चायै रैजाणु
त्यर माया कू एक बोलू
परदेशिया पँछि मेरो
मि जाणु हो मैत हो
मि जाणु हो मैत हो

धार क पोर सुवा
धार क पोर
शाँष पडि लाल छैला
नि फँटण हो मन मेरो
मि ता डूँबि यादो मा
तू लैजालि मैत मा
मन जै दुखि रो मेरो

दी चार दिनु छुँट्टि मेरु
परदेशिया पँछि तेरु
परदेशिया पँछि तेरु

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“भै-बैणि कू बँन्धन रक्षाबँन्धन” -कुँमाऊनी कविता-

Aside

“रक्षाधाँग बैणा प्यार
भै-बैणि ऐगो त्यार
भै जूणि कू रक्षा वँर
आज बैणि बाँधि प्रँण”

टिक पिठाँ यूँ धाँगो प्यार
कलाई बाँधि यूँ बैणा त्यार
मुँख मिठै भै-बैणि
ख्वँर आँशिक देवो थाँण
सौरास बै उणि दौडि आज
भै-बैणि कू ऐगो त्यार
भै रक्षा कू जूणि डोर
बैणि बाँधि भै कलाई
सूँत डोरि मा लम्बी जूण
रक्षाबँन्धन नान कै ठुँल
बुराँश काँफो सी बैणि डोर
भैकू ठुँल जूणि ठोर

जैकू हुणि भैजि दूर
बैणा आँखा आँसू छोर
चिट्टी कतरि भैजि प्यार
भैकू लम्ब जूणि त्यार
आ ऐगो रे रक्षाबँन्धन
भै-बैणि अँमृत बँन्धन
भै-बैणि अँमृत बँन्धन
भै जूणि कू रक्षा वँर
आज बैणि बाँधि प्रँण
आज बैणि बाँधि प्रँण
“रक्षाधाँग बैणा प्यार
भै-बैणि ऐगो त्यार”

{शब्द-अर्थ
भैकू-भाई को
भै-भाई
डोर-धाँगा
जूण या जूणि-जीवन}

मिञो रक्षाबँन्धन को बहनो ने
एक प्रँण बाँधा भाई रक्षा को!

“चलिये एक प्रँण करते है हम
कन्या भुर्ण हत्या को रोके हम”

भुर्ण हत्या सहेती एक भुर्ण कन्या के उपर मेरी एक कविता का कुछ अँश-

मै होती
माँ मै भी माँ होती
अगर धरा मे मै भी होती
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन
80-90 दिन कि थी मै
“यु ही मार गिरा दो
भाई हाथ के रक्षा बँन्धन को”
जब पुछेगा ये भाई मेरा
कहा है मेरी छोटी बहना?
जवाब तो तुमको देना होगा
जवाब तो तुमको देना होगा
80-90 दिन कि थी मै
अगर तुम रखते मै भी होती
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥
भाई हाथ का रक्षा बँन्धन॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“पलायण एक पिड़ा”

Aside

“दै हिट हो भैजि इँस्कूल जै उणु
दी अँक्षर ज्ञान अर्जित कर उणु”
“ईजा भाग खेति मा
बौज्यु गै कुल-बोल मा”
दी अँक्षर ज्ञान
दी डँबल सार
त्वै-म्वै पँढि लिखि
ईज बौज्यु कू दियुँणा साथ
“‘ज’ से जाल
पँढण लिखण मा
‘अ’ से आल”
“दै हिट दे भैजि इँस्कूल जाणू”
“दै हिट दे भैजि इँस्कूल जाणू”

अछो बैणा
‘श’ से शिक्षा… लिख बैर कै सिखि हम
इँण्टर मिडिऐट डिगरि विगरि
“‘प’ से पलायण मिलनि हम तै”
“‘प’ से पलायण मिलनि हम तै”
ईजा बौज्यु दुँरु दुँरु
“हाथ घाँलि कै वँड़ खिति”
“हाथ घाँलि कै वँड़ खिति”

आहा रे भैजि अनँपढ़ कौल
कस लागौल रे मन मा कौल
पँढि लिखि कै पलायण हुणि
अनँपढ़ लै कि वैमा हुणि
ना खिचँ रिखौड तू अनँपढ़ कि
आज छोडि जो भै-बँन्धु
कदुकै ले साल बिति जात
वँड़ लै ऐजा अपणु जाग
“पँढि लिखि जब हैले भैजि
पलायण पिड़ा कै पँढलै भैजि”
ईजा बौज्यु आँखा स्याँर
पहाड मा ‘ख’ से… खौजले भैजि
“सिल फुटै कि पाणि धार”
“सिल फुटै कि पाणि धार”

सुन तो बैणा
लिखणु छू कविता मा
पँढि लिखि कू शब्दो मा
कै मोल छू मेरो कविता मा

पँढि लिखि बै भुँपरि गीण
पँढि लिखि यूँ नव रितु
डाँम घालि यूँ बण मुति
जो जाण इथा बै
नि चाण उथा बै
त्वैके बोलू
पाँख लागि कै तौलू अब
जो कसम खैरोछि
त्वै ऐबेरि बदलि है
कै रे गै रोनक
इँसान ता बदलि
बदलि गै माटि आज
भल चलबल हैरो
त्यर घर मा चौल बौल हैरो
चौथार ले भैगो
गोटँ भदैरु खाँऊ भैगो
मूरँ मँच्छर मूँस भिकाँणा
“बुँढ बाँढि भल दँगडु हैरो”
“बुँढ बाँढि भल दँगडु हैरो”

“जब इतिहास पलटु पलको मा
सिल फुटै यूँ आँसू मा”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“तुमि छा देव ईष्ट देव ईष्ट देव नरँसिगा”

Aside

ईष्ट देव नरँसिगा
जय हो तुमरी जय जयकार
तुमि छा देव ईष्ट देव
ईष्ट देव नरँसिगा

बाँघ रुपि नर बणि
विष्णु रुपि नरँसिगा
शरँणु तेरु जो ऐगाँल
राजि खुशि तो रेजाँल
ईष्ट देव नरँसिँगा
जय हो तुमरी जय जयकार

छतँर छाँया तुमरी देव
दुख दुखैड त्यर शँरण
बिगडि काँज त्वै सँजण
प्रार्थना ल्युँ ऐ ईष्ट
चँक्र चाल देव भुँम
त्वै बरखि आकाश बै
आँखा छुटि आँश तै
या ढुँढू का ढुँढू
बोल दे ईष्ट देव.. का खौजू
अँद परिवार देखि त्वील
कथै बगाँई बोलि त्वील
डौरि गीण ईष्ट देव
गौ मुलुक छाल मा
हे भगवन छल बिछँल
भक्तो मा रोष कैक
भक्तो मा रोष कैक

घर रक्षँक बण रक्षँक
हैसि खेलि त्वै रखै
दिया बाँथि तेल छै
जोत की अणाँर कैक
जोत की अणाँर कैक

गौ वा गौ त्वै घटै
तीर्थ त्वील अर्थ लगै
देवभुमि सँगार क्वै
देवभुमि सँगार क्वै

तुमि छा देव ईष्ट देव
ईष्ट देव नरँसिगा
जय हो तुमरि जय जयकार
फिर ले ऐयू थाँण मा
दिया बाँथि साथ मा
जै हैगो नर बँणरु गलती हे
त्यरो छण सँन्तान हे
क्षमा मागि तुमरि थाँण
गोऊ(गाँय) बनि लाचार छण
गो(गाँय) हत्या नि बनो हो देव
गो हत्या नि बनो हो देव
ईष्ट देव नरँसिँगा
जय हो तुमरी जय जयकार
तुमि छा देव ईष्ट देव
ईष्ट देव नरँसिगा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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पँखुडि बन उँड जालि सँग लुकुडि बन रँज जालि तँण

Aside

पँखुडि बन उँड जालि सँग
लुकुडि बन रँज जालि तँण
टुकुड टुकुड कै चाणि छै
आँखा हैसि किले रुणि छै
कै लागि त्यर मन उदासी
किले हैई तूँ सौण भादोसी
कै हैगो त्वैगे यूँ भारी दुख
दुरु दुरु मिले का छू सुख
दुरु दुरु मिले का छू सुख

पँखुडि बन उँड जालि सँग
लुकुडि बन रँज जालि तँण
त्यर चुँडि खणकण
उ मुड मुड बै दैखण
हाय रे सुवा
त्यर बाँटुलि लागण
जीया भैरि जा
चिट्टी मा आँस गैरि तुई
चिट्टी मा आँस गैरि तुई

पँखुडि बन उँड जालि सँग
लुकुडि बन रँज जालि तँण

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

ओ भिणा-ओ सायि

Aside

ओ भिणा
पिस पिस इँतर भिणा हो

अररर…. ओ सायि

होय रे खिचँडु भिणा हो
दीदी मेरो सिदे साद
भिण हैगि रोमेण्टिक
जै जाँछि दीदी पुछडै तार त्वै
वलगि पलगि गौ फना
कै कुणा हो भिणा हो
कै कुणा हो भिणा हो
पिस पिस इँतर सैण्ट भिणा हो

ओ सायि
सुन वै सायि चाँवै जायि

अररर…. ओ भिणा

सुवा दगडि हाथ बँटुण
माय लगैई बुँत पँटुण
न्यौ न्यौ ब्यौ भयौ
त्यर दीदी अन्ताँज नै
कै सरै दे वँड़ इँथा
हाय तौबा हो मेरी हो
हाय तौबा हो मेरी हो
सुन वै सायि चाँवै जायि

ओ भिणा
पिस पिस इँतर सैण्ट भिणा हो

अररर…. ओ सायि

ओ भिणा सुन हो जरा
फाँट प्जाँम टाँल घाँलि
अद लदौड कमिज छू
टुकुर टुकुर किले हो
दीद पिछाँड ऐजाँछा हो
नि सँजण हो भिणा हो
एक हाथै रुँमाल तेरो
बुलबुलि बुलबुलि सिटौव हो
बुलबुलि बुलबुलि सिटौव हो
पिस पिस इँतर सैण्ट भिणा हो

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

हिप होप घसैरि

Aside

तूँ काँटति है घास
कँसुलि दाँथुलि मे
अयाँर री कू पात
काकि छै घँसरि
कैकि मौ लाल

हिगाँडु कू डाँलू
चापि चापि
बुँक्यारी कू घास
त्यर कसुलि दाँथुलि
छणकि छू वार पार
काकि छै घँसैरि
कैकि मौ लाल

डालु भैरि हिटनि छै
गढ कै गुसैणि तै
दिखुणि छै हिप होप
काकि छै घँसैरि
कैकि मौ लाल

बाँकुडि भैसि कि
थान निखरि चार
आँखा लगि बोलि तू
चार डाँला भोरि तू
हिप होप
सारे स्याँर फोरि तू
काकि छै घँसैरि
कैकि मौ लाल

दाँथुलि पयाणि छै
भैसि कू सयाणि छै
खाणौ पिणौ लटपट
दुधै कू उमाल छै
हिटणि छै हिप होप
काकि छै घसैरि
कैकि मौ लाल

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

ओ माया कि लाटि

Aside

माया कि डोरि तूँ
खिचँ ले ओरि तूँ
ओ माया कि लाटि
कबतै उँछि घाम बणिक
कबतै जँछि छाँव बणिक
मैमा कस लगै य रोग
भुखै प्यास आँख्यु मा जोग
अब ता ऐजा स्वैण भैर
कबतै यादो मा रुँवै छै
कबतै स्वैणो मा हँसै छै
अँद पकौणि बात मा
याद ऐजाणि माया हो
पल दी पल मुलाकाता मा
पल दी पल मुलाकाता मा

माया कि डोरि तूँ
खिचँ ले ओरि तूँ
ओ माया कि लाटि
प्रीत कू किताब छै
माया प्रीत गीत छै
लेखि छू विधाँता लेख
त्यरो म्यरो प्रीत लेख
जोडि माया एक आँखर
आँखा रिटि ओ माया
माया लाँटि प्रीत मा
त्वै घसिट ओ माया
माया क उँल्झाट मा
माया क उँल्झाट मा

माया कि डोरि तूँ
खिचँ ले ओरि तूँ
ओ माया कि लाटि
कबतै खौज अकाँशि मा
कबतै सौच बुँराशि मा
किलमोडि मा टिपि वै
त्यँर माया कू स्वाँद वै
मन मा ऐछँ दिल मा रेछँ
त्वैते करनु भौते प्यार
बतै सँगु ना दिल कू हाल
सारि रात आँख्यु कू जात
कै नि सगँणु हे माया
म्यर दिलु कू कै छू हाल
म्यर दिलु कू कै छू हाल
माया कि डोरि तूँ
खिचँ ले ओरि तूँ
ओ माया कि लाटि तूँ
ओ माया कि लाटि तूँ

लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

पुजाँरु पुजाँरि

Aside

एक गौ चार पुँजार
पूँज क भ्रँम अवतार
मन-गँढत पुँजारवाल
डबलु लाग हाँखवाल
एक मुठ्ठि चाँऊ दान
उछलि गै गीनती पूँज
घर आँगण निमवै बोट
पूँज पुँथरि लमडि री
घैरि गी यू मौ मौश्यार
कै लागि यूँ बकरि नाथ
कै चडि यूँ क्वँर पूँजा
पूँजा छल मुर्गि ब्राँण्ड
चाण चिताण मैस मैसाण
पूँज क भ्रँम अवतार
पूँजार ले तिमुले पात
हाथ लगै डबलु गाँड बगै
नूण कटिक नि लागि
पैल पूँज य हगै
भल मैस पूँज जाल
छल छितर लगै आल
पूँज क खेति नील
हाथ लगै नील नील

शरैबी वाल पूँज छू
गरैबी वाल पूँज छू
बिगडि काज पूँज छू
स्वैण देखि पूँज छू
गँढ भिडो पूँज छू
घर आँगण पूँज छू
दर्प दहा पूँज छू
भिसुणि मन पूँज छू
चौ बाँटा पूँज छू
मरिया जूण पूँज छू
बिमार वाल पूँज छू
मन चँचल पूँज छू

पूँज क भ्रँम अवतार
काँऊ कपँड साँऊ मिटर
कै लागि यूँ बकरि नाथ
कै चडि यूँ क्वँर पूँजा
पूँजा छल मुर्गि ब्राँण्ड
चाण चिताण मैस मैसाण
पूँज क भ्रँम अवतार

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

म्यर इखारि प्यार

Aside

हे सरु
शाँष कू चाँद सरु
शाँष कू चाँद
नि लगैई दाँग वै
बालपनो पै दिल दैई
साँचि माया इखरि तूँ
हे सरु जवान तूँ
दिदै आपण साथ तूँ
साँचि तेरु प्रेमि छू
माँटि पौधु कौ हु जूँ
बिन माटि पौध पराण
बिन माटि पौध पराण
म्यर इखारि माया मा
नि रुलैई आँखा मा
घुट घुटै रिसैई तूँ
जिया भैरि देख तूँ
म्यर आँखा मा साँचि माया
कौ बसि
म्यर आँखा पुतगालि बोल
म्यर आँखा पुतगालि बोल
प्यार काटण माया आहा
काँरु काँरु दाँथुलि कू धाँरु
हे सरु माय लगै
म्यर इखारि प्यार मा
पिछौडि निचौडि माया हो
नि मिटण हो प्यार रँग
नि मिटण हो प्यार रँग
म्यर इखारि प्यार मा
दिदै आपण साथ मा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All RightsReserved

“जूँ स्याँर” (कुँमाऊ श्लोक जीवन सार)

Aside

“जूँ स्याँर”
(कुँमाऊ श्लोक जीवन सार)

माया बोटि तै लाग फुँलारु।
जूँ जड़ जाड़ि तै लाग मुँलारु॥
पैद हुण ता नौ महैण।
मरँण दिशा कौ जाणु॥
बाँलपन शिक्षा कू खेति।
जवान लता कू प्रीत ऐल॥
नव अकुँर माँटि उँपजै त्वै।
पित्रर दान कू रितै क्वै॥
हैसि खेलि चार दिना।
चार दिना मिठो बोल॥
खालि ऐरो खालि जेरो।
चार दिना माँटि खेरो॥
बात विचार भल बोली।
समाज निगाँ उठँणि मोल॥
बोट कटै ता मुँन हँवै।
मैस मरै ता बोल रँवै॥
पुर जीवन सिखलाई सिखै।
हैसि खेलि अन्तिम यात्र॥
माय मँमता जर जोरु।
यै रेजाँल त्वैगे छोड॥
दर्प दहा ज्यूँ दिल मा तैरु।
छाँव मिलै ना ठँण्डो पैरु॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All RightsReserved

“चेलि बैणि तेरु दुँख ससाँर लगै य सबसे ठुँल”

Aside

“चेलि बैणि तेरु दुँख
ससाँर लगै य सबसे ठुँल”
चेलि गूँथण तेरु दुँख
बैणा तूँ ले का छै सुख
त्यर जीवन धारा मा
बगणि छण कैछू दुख
बिण तेरु कैछू सुख
त्यर पछिण यूँ छू दुख
बण बौटि लकडि डौटि
औलादी कू सुख खौजि
कदिनै ईज औलाद मा
कदिनै रैत पैत मा
बँव्ज उठै ख्वँर लगै
तूँ छै चेलि जात की
बूत मगणि रात की
मैत कू दुख लिबैर
सौरासी मा सुख नैहेति
बुँढ बाटि मा दुख औलादी
चेलि गूँथण तेरु दुख
कदिनै रैई कुटै तूँ
कदिनै खैई कूटैई तूँ
चलणु यूँ दुख मा राँग
कैकू चुँभछै बाल्यँकाल मा
कैकू दुँखछै यौवनँकाल मा
पैद हुँण य कैछू दुख
भेद भाँव मा गूँथगै तूँ
पैलि अँकूर चुँभगै तूँ
“चेलि बैणि तेरु दुँख
ससाँर लगै य सबसे ठुँल”
“चेलि बैणि तेरु दुँख
ससाँर लगै य सबसे ठुँल”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

मी चिंत चचँल नेता छू

Aside

मी चिंत चचँल नेता छू
ना जनता बल
ना पार्टी छल
एक घुँटन ऐहसास छू जनता
बेहेति रिश्वत गति दिशा
ना रोक सकै
ना मोड सकै
भटँकन छू छोटाला बाँज
ना रोकै मिगै
मी चिँत चचँल नेता छू
आज क ठौर काग्रेसी मी
भौले मी का रुणू
जनता माया ना मैमा माया
घर ऐरु मी जनता तेरु
भुख लागि यूँ वोटी माया
हँवा दिशा छू नेता छोरा
सँसारी बन्धँन तोडी मी
घोटाल दिशा कूँ नेता छू
जाती पाती तोडि नेता
बाल्यँकाल बै मौह लागी
नेता छू भष्टँचारी

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

मँडुवा पिसै घँट बगँड

Aside

मँडुवा पिसै घँट बगँड
बिण पानी कै थँड रिगँल
माय लगै माय पिसै
माय लगालि जूँ डँगर
बिण पानी घँटवाड की
कै छू मोल… बोल बोल

माय उँगै ऐल-पेल
सिचै रँखै प्रीत ऐर
माय लगै मुलाँर औल
नि लगै हुलाँर जौल
बिण माया प्रीत की
कै छू मोल… बोल बोल

मँडुवा पिसै घँट बगँड
माय लगै दिल बगँड
ओरि-पोरि माया खोल
माया ब्वँज पौल्ट नै
साँचि प्रीत निशाँण नै
माया कि माँटि दाम
लिखि छू तेरो नाम

दिल मा प्रीत बुँज ले
दिल नहँरु माय दौडे
बिशै दियालि दिल बगँड
बिण पानी कै थँड रिगँल…..

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“दी डबँलू चोट एक ढुँगि दी ख्पीरँ”

Aside

“दी डबँलू चोट
एक ढुँगि दी ख्पीरँ”

घर मा परदेशी हैग्यू
दिल्ली मा पहाडि रैग्यू
दी डबँलू चोट
आँखा कूँ आँसू बणँग्यू

ना घँरक ना बँणक
बीच गाँडक जूँ (जीवन)
ना उँथै तँरु
ना यँथै मँरु
दी थाँली रँव्ट
कस भाग दियौ विधाँता त्वील
कदिनै तोडि ईजँक रँव्ट
कदिनै छोडि ईजँक घँव्ल

बस मा बैठि
मुँड-मुँड बै चैँ
आपँणा सी क्वीँ
आँखो सी औझँल
टँक-टँक देखि मोडु वार
त्यँर मयाँलु रुपि भाग
नमन करि यूँ आँसू म्याँर
मन मा आँश समाई
फिर लौटुण फिर देखुण
त्यँर मयाँलु घोलु ईजा
जा बै जुँण
वा बै उँणु
म्यँर गौ उजाँणि धारो मा
याद लिबेर छोडि मिल
आपँण चौथाँरु अन्तिम खूँट
कभतै हँसै
कभतै रुँवै
खुशि मिलि यूँ गीनती कम
चार दिनू कूँ छुँट्टी छम
कस भाग दियौ विधाँता त्वील

दे हिट दे बाँटा
और ना कर देरि तूँ
दी डबँलू चोट
एक ढुँगि दी ख्पीरँ
एक टुकुँड घँर रैग्यू
एक टुकुँड बँण हैग्यू
कै गम सताँण टपकँण आँस
कैल जताँण उ मैकू आँश
(मैकू का अर्थ- माँ,ईजा को सम्बोधित करने से होता है कुँमाऊ शब्दाँवाल मे)

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“एक मौक दे गीताँरु शब्द गूँथि रितँदार”

Aside

“एक मौक दे गीताँरु
शब्द गूँथि रितँदार”
लिखणु बैशिँ हुँड्डकि बाँज
हुँड्डकि लिखणु गीत की
जँग्ररि राँस रितँ की
लिखणु गीत अवतारित रात
राँस लगै हुँयार की
ईष्ट देव ग्राँम देव
भुँमाऊ देव सरहद की
राति ब्याँऊ बाँथ सुनै
मुँड बैठि जँग्रर की
राति पहर नौल की
इँनडि लाँकड रित की
गौ बँन्धन देव रक्षँक
रितँ की रिर्वाज की
“गीतकार गीतैई तूँ
शब्द म्यँर बुलैई तूँ”

“एक मौक दे गीताँरु
शब्द गूँथि गीत दार”
दाँथुलि दार बाँट पयाँण
लिखणु गीत पहाडि दार
एक मौक दे गीताँरु
धाँर नौऊँ कूँ भौण तूँ
तिषँ मिटै यूँ गीत लगै
ध्रुँघरि ध्रुँघरि माया झौखँ
रितँ लिखणु प्रीत की
भिडँ मा पैचाँण की
रिगँ रिगाँल शब्द म्यँरो
क्वँर-क्वँरि छिटँ-छिटाँण
सुँवा याद जो ऐगाँल
‘लिखणु रँग बुराँश तूँ
घुघँतियाल गीताँण तूँ’
“गीतकार गीतैई तूँ
शब्द म्यँर बुलैई तूँ”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“एक लटुलि रिर्वाज दी लटुलि रित की”

Aside

“एक लटुलि रिर्वाज
दी लटुलि रित की”

चेलि तूँ दी लटुलि
एक लटुलि ब्वाँर की
रित की रिर्वाज की
अदरिखौडे भाग की
एक लटि मा मान की
दी लटि मा शान की
रित निभै एक लटिक
पर घरै भाँण की
मान की समान की
एक लटुलि ज्ञान की
“दी लटुलि ईज- बौज्यु दाँण की
एक लटुलि साँस- सौरा आँण की”
दी लटि मा आलि दँगड…
ब्यौ करि रित की
एक लटि मा जालि बँगड…
अर्थि बण रिर्वाज की
“एक घरै की डोलि चढै
एक घरै की अर्थि जलै”
तूँ छै चेलि जात की
अदरिखौडे भाग की
“तूँ जतैई एक लटुलि
तूँ निभैई दी लटुलि”
रित की रिर्वाज की
दी घरै…
अदरिखौडे भाग गढै

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“हँख- हँण्क- हँण्कार”

Aside

“हँख- हँण्क- हँण्कार”

पुश्तैणि धँर हँण्कारि आज
हँण्क लागि हँण्कार की
वँड़ सडकै दँब्यत लौटे
ना आजकौणि कूँ फाँम की
हँख- हँण्क- हँण्कार की
वाँरु की ना पाँरु की
मैसि की ना जाति की
हँख लिखणु छू पहाड की
रैति की ना पैति की
पुश्तैणि धँर पुश्तो की
घैरि गै अघौरि गै
चलबल छलबल सैणि मैस
एक मुँठ्ठि टिटँ माँट की
रित- रिर्वाज यूँ आपदा की
“एक पिढ़ि ले घँघरि तोड
अगिल पिढ़ि धोति छोड”
रिसै घालि ना चमँचण वाल
जँनऊ धारि ना चौकि वाल
पुश्तैणि धँर विराणि काँख
कुँड़ बाँडि दँराणि झाँख
कुँड़ै लगई ताँई दँवार
घुटै हैलो य पुँश्त पुँतैई

“हँख लिखणु का पहाड की
हँण्क लागि हँण्कार की”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“चेलि” एक लटुलि रिर्वाज दी लटुलि रित की

Aside

एक लटुलि रिर्वाज
दी लटुलि रित की
चेलि तूँ दी लटुलि
एक लटुलि ब्वाँर की
रित की रिर्वाज की
अदरिखौडे भाग की
एक लटि मा मान की
दी लटि मा शान की
रित निभै एक लटिक
पर घरै भाँण की
मान की समान की
एक लटुलि ज्ञान की
“दी लटुलि ईज- बौज्यु दाँण की
एक लटुलि साँस- सौरा आँण की”
दी लटि मा आलि दँगड…
ब्यौ करि रित की
एक लटि मा जालि बँगड…
अर्थि बण रिर्वाज की
“एक घरै की डोलि चढै
एक घरै की अर्थि जलै”
तूँ छै चेलि जात की
अदरिखौडे भाग की
“तूँ जतैई एक लटुलि
तूँ निभैई दी लटुलि”
रित की रिर्वाज की
दी घरै…
अदरिखौडे भाग गढै

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

कृष्ण वँन्दना

Aside

भँक्त वत्सँल हे कृष्ण मुरारी
त्यँर मुरलि धुन सुनने कू व्याकुल
व्याकुलता छलकै हे राधै श्याम
मन मा म्याँर सुनने कू त्याँर
कबतै ढुँढू ग्वाँलण मा त्वैके
कबतै धाँर नौलोँ कू काँख
अब ता दिदियौ चक्रधारी दर्शन
आँखा सुखि दर्शन कू प्याँसा
भँक्त वत्सल हे कृष्ण मुरारी
बस त्याँर बस त्यँरो नौ
और ना जाणु अगिल पछिल
गोपियो सँग राँस रँचै
भँक्तो मा ना आँच उँचै
त्वै गीतसार…
शेषनाँग मा नाँचत राँग
दर्शन दिदियौ हे यशोदा नँन्द
कष्ट दुखो तै करदु पार
मैगणि आज…
त्वै लीला धर जग धाँरी
त्वै कँन्या नरसिँग देव
पित्रर भँक्त हे बनँवाशी
दुख कष्टो तै पार लगुछै
गोकुल कै छै राँस रँचया
मथुरा मा त्वै श्याम
त्वै सारथि छै
त्वै गीतासार
जै पँथ पे तूँ कूँच करे
धर्म रँथ कू छै तूँ वैग
पैल प्रँभात कू बेला त्वैमा
श्याम वर्ण कू शाँष भी त्वैमा
भँक्त वत्सँल हे कृष्ण मुरारी
अब ता दिदियौ चक्रधारी दर्शन

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

ऐगो रे शहरि कूँडा

Aside

पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात
कै नजँर यूँ पश्चिम सभ्यता
लडँण मा लारिण सभ्यता वाद
कै नजँर यूँ कूडाँ शहरि
फैलुण मा लारिण शहरि वाद
इँतरि फैलि उँतरि फैलि
धाँर नौउँ काँख यूँ फैलि
हाँऊ ब्याँऊ मा उँडणि पन्नि
नँहर मा बँगणि पैप्सी गुँटखि
गँढ भिडो मा माँटि डैल
डैल मा लिपटि पन्नि खैड
बाँटा हिट… बाँट गँन्दू छू
लँक्श- हिमानि- लाईफब्वाँय
य कुँडि कि ओ कुडि कि
बाँट मा फैकि गँन्दगि छू
फैशनि कि छण सटिक
“दिल्ली शूँट सँजती सुँवा
गँन्दगी बाँटा रँजती रुँवा”
ओ उँडि… कौ कुँडि कि ..?
ग्धैरुँण लागि ढैरँ…
डिशपोजल पँताऊ टैण्टोणि ब्यौ
ग्धैरुँण लैगो ब्यौ कुँडा show

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
“काँफल पाँको त्वील नि चाँखो
बाँटा गँन्दो त्वील नि जाँखो”

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
हुँस्नदार स्वँच्छ निकास
गाँड़ ग्धैरुँ यूँ विकास
पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

ऐगो रे शहरि कूँडा

Aside

पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात
कै नजँर यूँ पश्चिम सभ्यता
लडँण मा लारिण सभ्यता वाद
कै नजँर यूँ कूडाँ शहरि
फैलुण मा लारिण शहरि वाद
इँतरि फैलि उँतरि फैलि
धाँर नौउँ काँख यूँ फैलि
हाँऊ ब्याँऊ मा उँडणि पन्नि
नँहर मा बँगणि पैप्सी गुँटखि
गँढ भिडो मा माँटि डैल
डैल मा लिपटि पन्नि खैड
बाँटा हिट… बाँट गँन्दू छू
लँक्श- हिमानि- लाईफब्वाँय
य कुँडि कि ओ कुडि कि
बाँट मा फैकि गँन्दगि छू
फैशनि कि छण सटिक
“दिल्ली शूँट सँजती सुँवा
गँन्दगी बाँटा रँजती रुँवा”
ओ उँडि… कौ कुँडि कि ..?
ग्धैरुँण लागि ढैरँ…
डिशपोजल पँताऊ टैण्टोणि ब्यौ
ग्धैरुँण लैगो ब्यौ कुँडा show

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
“काँफल पाँको त्वील नि चाँखो
बाँटा गँन्दो त्वील नि जाँखो”

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
हुँस्नदार स्वँच्छ निकास
गाँड़ ग्धैरुँ यूँ विकास
पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात

लेख-सुन्दर कबडोला
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