दारु-मारु हैगोँ राम
बिन यैकु कै दुँवा सलाम
रित-रिवार्ज ले हैगोँ जाम
एक घूँट मा ऐगोँ दाम
काम-काज ले हैगोँ राम
दारु-मारु हैगोँ राम
जागर तै पैलि दारु-मारु
फिर अवतारित हुणि राम
ब्याह बरातु यु छू राम
बिन यैकु नि हुणोँ काम
दारु-मारु हैगोँ राम
गौ कु ठेकु मा छू राम
शाम सबैर मुनई यु टेकु
घौर ऐबैर सबकु ठोकु
राम नाम कु भोग लगै
दारु-मारु हैगोँ राम
पैद हुण मा दारु-मारु
मरण कु स्या दारु-मारु
सुख मा राम
दुख मा राम
दारु-मारु हैगोँ राम
राम नाम भी सत्य है
दारु-मारु गत्य है
सकँल्प करो यु सीता राम
दारु मुक्ति उत्तँरा धाम
दारु मुक्ति उत्तँरा धाम
दारु-मारु हैगोँ राम
दारु-मारु ना हो राम
लेख-सुन्दर कबडोला
18/01/2013
©2013 पहाडि कविता ब्लाँग , All Rights Reserved