प्रधानी

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ऐगै रे ऐगै
पार धार प्रधानी
पँचो कि स्याणी
साल भैरि एक बजट
सार मजदुरी घर चँडै
जन बँकुरी देव चँडै
गौणू मा यू बौई रे
वोट कू यू डौई रे

देखै रे देखै
विकास कि फौख
सार गौ बिखुडि
अन्चौ कि पन्चौ कि
गौ बाँटा मन्चौ कि
ब्लौक मा छौई गै
सार बजट निगेयि गै

खेगै रे खेगै
पार धार प्रधानी
बाँट बोल चौमास धौई
रुँडि दिन स्वँजल छौइ
त्यारो ही जय जयकार

केगै रे केगै
वोट कू बोट लगै
लम्ब पुछौडि जन प्रधानी
यैक छण आँखा चार
सार गौ खसौडि तार

ऐगै रे ऐगै
पार धार प्रधानी
पँचो कि स्याणी

लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

घस्यार

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जब बनती है घस्यार तू
डाँल देख घै कू सैप
कर देती माँटि छैक
सिप छू उजाडि हाथ
तेरो ही निशाणि साथ

चार आँठ्ठ तल-मल
छैकि तेरो हाथ
दगडि घस्यारि त्यार
बिछण हे जानि म्यार
मौसि-मासि भिडँ लाल

स्याँर कि खँरुणि तू
घाँ कि चँरुणि तू
उपँरु कि स्यार कि
सबू कि मँवाशि कि
कर दीछि तू मँलाल

डौई रुछै आर-पार
नजर बचै कि लाख
बैठि रुछि त्यर पछिण भेद
कैक हाथ नै लागणि सेद
जब बनती है घस्यार तू
ख्वँर डाँलू हाथू मा मुबाईल यार

लेख- सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तँराखण्ड

“चार दिनु छुँट्टि उँछि दी दिनु तू मैत जँछि”

Aside

चार दिनु छुँट्टि उँछि
दी दिनु तू मैत जँछि
हे सुवा
नि दुखैई मन मेरु
परदेशिया पँछि तेरु

पाण क गिलास स्वामि
पाण क गिलास
एक घुँटि मा त्यर बाँटुलि
नि बुँझण हो तिष स्वामि
नि बुँझण हो तिष
दी चार दिनु छुँट्टि तेरो
माय लगै तू र्फूर उँडै
परदेशिया पँछि मेरो
मि जाणु हो मैत हो
मि जाणु हो मैत हो

दुध क उमाल भागि
दुध क उमाल
नि थामिण हो सुवा मेरो
तू ले जालि मैत हो
मन मेरो उदास भागि
मन मेरो उदास
दी चार दिनु छुँट्टि उँछ
तू लैजाछि मैत उँज
तू लैजाछि मैत उँज

ब्याँव क स्वैण स्वामि
ब्याँव क स्वैण
परेदेशु मा जैबे हो
भुल जाँछा मैगे हो
रात ब्याँखण स्वैण जै
मि ता चायै रैजाणु
त्यर माया कू एक बोलू
परदेशिया पँछि मेरो
मि जाणु हो मैत हो
मि जाणु हो मैत हो

धार क पोर सुवा
धार क पोर
शाँष पडि लाल छैला
नि फँटण हो मन मेरो
मि ता डूँबि यादो मा
तू लैजालि मैत मा
मन जै दुखि रो मेरो

दी चार दिनु छुँट्टि मेरु
परदेशिया पँछि तेरु
परदेशिया पँछि तेरु

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

“पलायण एक पिड़ा”

Aside

“दै हिट हो भैजि इँस्कूल जै उणु
दी अँक्षर ज्ञान अर्जित कर उणु”
“ईजा भाग खेति मा
बौज्यु गै कुल-बोल मा”
दी अँक्षर ज्ञान
दी डँबल सार
त्वै-म्वै पँढि लिखि
ईज बौज्यु कू दियुँणा साथ
“‘ज’ से जाल
पँढण लिखण मा
‘अ’ से आल”
“दै हिट दे भैजि इँस्कूल जाणू”
“दै हिट दे भैजि इँस्कूल जाणू”

अछो बैणा
‘श’ से शिक्षा… लिख बैर कै सिखि हम
इँण्टर मिडिऐट डिगरि विगरि
“‘प’ से पलायण मिलनि हम तै”
“‘प’ से पलायण मिलनि हम तै”
ईजा बौज्यु दुँरु दुँरु
“हाथ घाँलि कै वँड़ खिति”
“हाथ घाँलि कै वँड़ खिति”

आहा रे भैजि अनँपढ़ कौल
कस लागौल रे मन मा कौल
पँढि लिखि कै पलायण हुणि
अनँपढ़ लै कि वैमा हुणि
ना खिचँ रिखौड तू अनँपढ़ कि
आज छोडि जो भै-बँन्धु
कदुकै ले साल बिति जात
वँड़ लै ऐजा अपणु जाग
“पँढि लिखि जब हैले भैजि
पलायण पिड़ा कै पँढलै भैजि”
ईजा बौज्यु आँखा स्याँर
पहाड मा ‘ख’ से… खौजले भैजि
“सिल फुटै कि पाणि धार”
“सिल फुटै कि पाणि धार”

सुन तो बैणा
लिखणु छू कविता मा
पँढि लिखि कू शब्दो मा
कै मोल छू मेरो कविता मा

पँढि लिखि बै भुँपरि गीण
पँढि लिखि यूँ नव रितु
डाँम घालि यूँ बण मुति
जो जाण इथा बै
नि चाण उथा बै
त्वैके बोलू
पाँख लागि कै तौलू अब
जो कसम खैरोछि
त्वै ऐबेरि बदलि है
कै रे गै रोनक
इँसान ता बदलि
बदलि गै माटि आज
भल चलबल हैरो
त्यर घर मा चौल बौल हैरो
चौथार ले भैगो
गोटँ भदैरु खाँऊ भैगो
मूरँ मँच्छर मूँस भिकाँणा
“बुँढ बाँढि भल दँगडु हैरो”
“बुँढ बाँढि भल दँगडु हैरो”

“जब इतिहास पलटु पलको मा
सिल फुटै यूँ आँसू मा”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

पँखुडि बन उँड जालि सँग लुकुडि बन रँज जालि तँण

Aside

पँखुडि बन उँड जालि सँग
लुकुडि बन रँज जालि तँण
टुकुड टुकुड कै चाणि छै
आँखा हैसि किले रुणि छै
कै लागि त्यर मन उदासी
किले हैई तूँ सौण भादोसी
कै हैगो त्वैगे यूँ भारी दुख
दुरु दुरु मिले का छू सुख
दुरु दुरु मिले का छू सुख

पँखुडि बन उँड जालि सँग
लुकुडि बन रँज जालि तँण
त्यर चुँडि खणकण
उ मुड मुड बै दैखण
हाय रे सुवा
त्यर बाँटुलि लागण
जीया भैरि जा
चिट्टी मा आँस गैरि तुई
चिट्टी मा आँस गैरि तुई

पँखुडि बन उँड जालि सँग
लुकुडि बन रँज जालि तँण

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

ओ भिणा-ओ सायि

Aside

ओ भिणा
पिस पिस इँतर भिणा हो

अररर…. ओ सायि

होय रे खिचँडु भिणा हो
दीदी मेरो सिदे साद
भिण हैगि रोमेण्टिक
जै जाँछि दीदी पुछडै तार त्वै
वलगि पलगि गौ फना
कै कुणा हो भिणा हो
कै कुणा हो भिणा हो
पिस पिस इँतर सैण्ट भिणा हो

ओ सायि
सुन वै सायि चाँवै जायि

अररर…. ओ भिणा

सुवा दगडि हाथ बँटुण
माय लगैई बुँत पँटुण
न्यौ न्यौ ब्यौ भयौ
त्यर दीदी अन्ताँज नै
कै सरै दे वँड़ इँथा
हाय तौबा हो मेरी हो
हाय तौबा हो मेरी हो
सुन वै सायि चाँवै जायि

ओ भिणा
पिस पिस इँतर सैण्ट भिणा हो

अररर…. ओ सायि

ओ भिणा सुन हो जरा
फाँट प्जाँम टाँल घाँलि
अद लदौड कमिज छू
टुकुर टुकुर किले हो
दीद पिछाँड ऐजाँछा हो
नि सँजण हो भिणा हो
एक हाथै रुँमाल तेरो
बुलबुलि बुलबुलि सिटौव हो
बुलबुलि बुलबुलि सिटौव हो
पिस पिस इँतर सैण्ट भिणा हो

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

हिप होप घसैरि

Aside

तूँ काँटति है घास
कँसुलि दाँथुलि मे
अयाँर री कू पात
काकि छै घँसरि
कैकि मौ लाल

हिगाँडु कू डाँलू
चापि चापि
बुँक्यारी कू घास
त्यर कसुलि दाँथुलि
छणकि छू वार पार
काकि छै घँसैरि
कैकि मौ लाल

डालु भैरि हिटनि छै
गढ कै गुसैणि तै
दिखुणि छै हिप होप
काकि छै घँसैरि
कैकि मौ लाल

बाँकुडि भैसि कि
थान निखरि चार
आँखा लगि बोलि तू
चार डाँला भोरि तू
हिप होप
सारे स्याँर फोरि तू
काकि छै घँसैरि
कैकि मौ लाल

दाँथुलि पयाणि छै
भैसि कू सयाणि छै
खाणौ पिणौ लटपट
दुधै कू उमाल छै
हिटणि छै हिप होप
काकि छै घसैरि
कैकि मौ लाल

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right, All Rights Reserved

“जूँ स्याँर” (कुँमाऊ श्लोक जीवन सार)

Aside

“जूँ स्याँर”
(कुँमाऊ श्लोक जीवन सार)

माया बोटि तै लाग फुँलारु।
जूँ जड़ जाड़ि तै लाग मुँलारु॥
पैद हुण ता नौ महैण।
मरँण दिशा कौ जाणु॥
बाँलपन शिक्षा कू खेति।
जवान लता कू प्रीत ऐल॥
नव अकुँर माँटि उँपजै त्वै।
पित्रर दान कू रितै क्वै॥
हैसि खेलि चार दिना।
चार दिना मिठो बोल॥
खालि ऐरो खालि जेरो।
चार दिना माँटि खेरो॥
बात विचार भल बोली।
समाज निगाँ उठँणि मोल॥
बोट कटै ता मुँन हँवै।
मैस मरै ता बोल रँवै॥
पुर जीवन सिखलाई सिखै।
हैसि खेलि अन्तिम यात्र॥
माय मँमता जर जोरु।
यै रेजाँल त्वैगे छोड॥
दर्प दहा ज्यूँ दिल मा तैरु।
छाँव मिलै ना ठँण्डो पैरु॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All RightsReserved

“दी डबँलू चोट एक ढुँगि दी ख्पीरँ”

Aside

“दी डबँलू चोट
एक ढुँगि दी ख्पीरँ”

घर मा परदेशी हैग्यू
दिल्ली मा पहाडि रैग्यू
दी डबँलू चोट
आँखा कूँ आँसू बणँग्यू

ना घँरक ना बँणक
बीच गाँडक जूँ (जीवन)
ना उँथै तँरु
ना यँथै मँरु
दी थाँली रँव्ट
कस भाग दियौ विधाँता त्वील
कदिनै तोडि ईजँक रँव्ट
कदिनै छोडि ईजँक घँव्ल

बस मा बैठि
मुँड-मुँड बै चैँ
आपँणा सी क्वीँ
आँखो सी औझँल
टँक-टँक देखि मोडु वार
त्यँर मयाँलु रुपि भाग
नमन करि यूँ आँसू म्याँर
मन मा आँश समाई
फिर लौटुण फिर देखुण
त्यँर मयाँलु घोलु ईजा
जा बै जुँण
वा बै उँणु
म्यँर गौ उजाँणि धारो मा
याद लिबेर छोडि मिल
आपँण चौथाँरु अन्तिम खूँट
कभतै हँसै
कभतै रुँवै
खुशि मिलि यूँ गीनती कम
चार दिनू कूँ छुँट्टी छम
कस भाग दियौ विधाँता त्वील

दे हिट दे बाँटा
और ना कर देरि तूँ
दी डबँलू चोट
एक ढुँगि दी ख्पीरँ
एक टुकुँड घँर रैग्यू
एक टुकुँड बँण हैग्यू
कै गम सताँण टपकँण आँस
कैल जताँण उ मैकू आँश
(मैकू का अर्थ- माँ,ईजा को सम्बोधित करने से होता है कुँमाऊ शब्दाँवाल मे)

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“एक मौक दे गीताँरु शब्द गूँथि रितँदार”

Aside

“एक मौक दे गीताँरु
शब्द गूँथि रितँदार”
लिखणु बैशिँ हुँड्डकि बाँज
हुँड्डकि लिखणु गीत की
जँग्ररि राँस रितँ की
लिखणु गीत अवतारित रात
राँस लगै हुँयार की
ईष्ट देव ग्राँम देव
भुँमाऊ देव सरहद की
राति ब्याँऊ बाँथ सुनै
मुँड बैठि जँग्रर की
राति पहर नौल की
इँनडि लाँकड रित की
गौ बँन्धन देव रक्षँक
रितँ की रिर्वाज की
“गीतकार गीतैई तूँ
शब्द म्यँर बुलैई तूँ”

“एक मौक दे गीताँरु
शब्द गूँथि गीत दार”
दाँथुलि दार बाँट पयाँण
लिखणु गीत पहाडि दार
एक मौक दे गीताँरु
धाँर नौऊँ कूँ भौण तूँ
तिषँ मिटै यूँ गीत लगै
ध्रुँघरि ध्रुँघरि माया झौखँ
रितँ लिखणु प्रीत की
भिडँ मा पैचाँण की
रिगँ रिगाँल शब्द म्यँरो
क्वँर-क्वँरि छिटँ-छिटाँण
सुँवा याद जो ऐगाँल
‘लिखणु रँग बुराँश तूँ
घुघँतियाल गीताँण तूँ’
“गीतकार गीतैई तूँ
शब्द म्यँर बुलैई तूँ”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“एक लटुलि रिर्वाज दी लटुलि रित की”

Aside

“एक लटुलि रिर्वाज
दी लटुलि रित की”

चेलि तूँ दी लटुलि
एक लटुलि ब्वाँर की
रित की रिर्वाज की
अदरिखौडे भाग की
एक लटि मा मान की
दी लटि मा शान की
रित निभै एक लटिक
पर घरै भाँण की
मान की समान की
एक लटुलि ज्ञान की
“दी लटुलि ईज- बौज्यु दाँण की
एक लटुलि साँस- सौरा आँण की”
दी लटि मा आलि दँगड…
ब्यौ करि रित की
एक लटि मा जालि बँगड…
अर्थि बण रिर्वाज की
“एक घरै की डोलि चढै
एक घरै की अर्थि जलै”
तूँ छै चेलि जात की
अदरिखौडे भाग की
“तूँ जतैई एक लटुलि
तूँ निभैई दी लटुलि”
रित की रिर्वाज की
दी घरै…
अदरिखौडे भाग गढै

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“हँख- हँण्क- हँण्कार”

Aside

“हँख- हँण्क- हँण्कार”

पुश्तैणि धँर हँण्कारि आज
हँण्क लागि हँण्कार की
वँड़ सडकै दँब्यत लौटे
ना आजकौणि कूँ फाँम की
हँख- हँण्क- हँण्कार की
वाँरु की ना पाँरु की
मैसि की ना जाति की
हँख लिखणु छू पहाड की
रैति की ना पैति की
पुश्तैणि धँर पुश्तो की
घैरि गै अघौरि गै
चलबल छलबल सैणि मैस
एक मुँठ्ठि टिटँ माँट की
रित- रिर्वाज यूँ आपदा की
“एक पिढ़ि ले घँघरि तोड
अगिल पिढ़ि धोति छोड”
रिसै घालि ना चमँचण वाल
जँनऊ धारि ना चौकि वाल
पुश्तैणि धँर विराणि काँख
कुँड़ बाँडि दँराणि झाँख
कुँड़ै लगई ताँई दँवार
घुटै हैलो य पुँश्त पुँतैई

“हँख लिखणु का पहाड की
हँण्क लागि हँण्कार की”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“चेलि” एक लटुलि रिर्वाज दी लटुलि रित की

Aside

एक लटुलि रिर्वाज
दी लटुलि रित की
चेलि तूँ दी लटुलि
एक लटुलि ब्वाँर की
रित की रिर्वाज की
अदरिखौडे भाग की
एक लटि मा मान की
दी लटि मा शान की
रित निभै एक लटिक
पर घरै भाँण की
मान की समान की
एक लटुलि ज्ञान की
“दी लटुलि ईज- बौज्यु दाँण की
एक लटुलि साँस- सौरा आँण की”
दी लटि मा आलि दँगड…
ब्यौ करि रित की
एक लटि मा जालि बँगड…
अर्थि बण रिर्वाज की
“एक घरै की डोलि चढै
एक घरै की अर्थि जलै”
तूँ छै चेलि जात की
अदरिखौडे भाग की
“तूँ जतैई एक लटुलि
तूँ निभैई दी लटुलि”
रित की रिर्वाज की
दी घरै…
अदरिखौडे भाग गढै

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

ऐगो रे शहरि कूँडा

Aside

पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात
कै नजँर यूँ पश्चिम सभ्यता
लडँण मा लारिण सभ्यता वाद
कै नजँर यूँ कूडाँ शहरि
फैलुण मा लारिण शहरि वाद
इँतरि फैलि उँतरि फैलि
धाँर नौउँ काँख यूँ फैलि
हाँऊ ब्याँऊ मा उँडणि पन्नि
नँहर मा बँगणि पैप्सी गुँटखि
गँढ भिडो मा माँटि डैल
डैल मा लिपटि पन्नि खैड
बाँटा हिट… बाँट गँन्दू छू
लँक्श- हिमानि- लाईफब्वाँय
य कुँडि कि ओ कुडि कि
बाँट मा फैकि गँन्दगि छू
फैशनि कि छण सटिक
“दिल्ली शूँट सँजती सुँवा
गँन्दगी बाँटा रँजती रुँवा”
ओ उँडि… कौ कुँडि कि ..?
ग्धैरुँण लागि ढैरँ…
डिशपोजल पँताऊ टैण्टोणि ब्यौ
ग्धैरुँण लैगो ब्यौ कुँडा show

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
“काँफल पाँको त्वील नि चाँखो
बाँटा गँन्दो त्वील नि जाँखो”

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
हुँस्नदार स्वँच्छ निकास
गाँड़ ग्धैरुँ यूँ विकास
पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

ऐगो रे शहरि कूँडा

Aside

पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात
कै नजँर यूँ पश्चिम सभ्यता
लडँण मा लारिण सभ्यता वाद
कै नजँर यूँ कूडाँ शहरि
फैलुण मा लारिण शहरि वाद
इँतरि फैलि उँतरि फैलि
धाँर नौउँ काँख यूँ फैलि
हाँऊ ब्याँऊ मा उँडणि पन्नि
नँहर मा बँगणि पैप्सी गुँटखि
गँढ भिडो मा माँटि डैल
डैल मा लिपटि पन्नि खैड
बाँटा हिट… बाँट गँन्दू छू
लँक्श- हिमानि- लाईफब्वाँय
य कुँडि कि ओ कुडि कि
बाँट मा फैकि गँन्दगि छू
फैशनि कि छण सटिक
“दिल्ली शूँट सँजती सुँवा
गँन्दगी बाँटा रँजती रुँवा”
ओ उँडि… कौ कुँडि कि ..?
ग्धैरुँण लागि ढैरँ…
डिशपोजल पँताऊ टैण्टोणि ब्यौ
ग्धैरुँण लैगो ब्यौ कुँडा show

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
“काँफल पाँको त्वील नि चाँखो
बाँटा गँन्दो त्वील नि जाँखो”

हाँय रे मैसा कैसा तूँ
हुँस्नदार स्वँच्छ निकास
गाँड़ ग्धैरुँ यूँ विकास
पहाड हालात कै बुणि आज
जण बिण पाँखा पौथि जात

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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ईजा (सौ देवि मा एक देवि)

Aside

बालपनो क काँचि माँटि
गूँथि त्वील सिचै ईजा
खूँट मा ठाँड हुँणो क लैक
त्वील सिखलाई दुनिया मा हिट
इँतगा नाँन जीवन मा म्याँर
काँचि पाकि ढाँल बणै
ऋणि छू तेरो… ओ ईजा
तार सँकू ना यूँ जीवन

डाँड घाँलण य क्वीड सुँनण
कैल जाणि बस त्वीलै ईजा
म्यर मुखि तूँतलाणि बोलि
भुख लागि ता भुख मिटै
दुख पिड़ा मा साथ निभै
ऋणि छू तेरो… ओ ईजा
तार सँकू ना यूँ जीवन

जबै खूँटि य डँगै मँगै
त्वीले ईजा दिखलाई बाँट
म्यँर नाँनू खूँटि कै त्वील
नरम गरम सी आँचल दे
दुख ले त्वील
सुख दे त्वील
हँन्थर लकँडा भेद बतै
ऋणि छू तेरो… ओ ईजा
तार सँकू ना यूँ जीवन

मँमता कि माया
आँचल कि सँरयू
कै गुण गान कँरु मी त्यँर महिमा
देव देखि ना देवि मैल
कालि रुपि वैणि माता
मुख वार्णि मा सरस्वति बैठि
भँगवति नँन्दा रुप छू तेरु
शिव कैलाशी आँचल तेरु
सौ देवि मा एक देवि
रुँप छू तेरु ओ ईजा
रुँप छू तेरु ओ ईजा
तार सँकू ना फिर ऐजा
तार सँकू ना फिर ऐजा
ऋणि छू तेरो… ओ ईजा
तार सँकू ना यूँ जीवन

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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सँत रँगि कुँमाऊ म्याँर

Aside

सँत रँगि कुँमाऊ म्याँर
छोडि क्वैल निर्मोहि आग
छुटि गै कुँमाऊ म्याँर
ऊँचा निचा धारो बाँट
साल महैण बनँवाश पार
डबल खातिर सन्याँस यार
दूर दूर नजँरु दूर
सतँ रँगि कुँमाऊ म्याँर
नजँरु बाँट माय दौडे
बाँटुलि ले आँख रुँवै
जस भाग मिलोँ शाँष को
शाँष कू निशाँष कू
निशाँषि गै मन म्याँर
सँत रँगि कुँमाऊ म्याँर
बचपनो को त्याँरा रँग
जवानी को म्याँरा गँम
दी चार दिणु छुटि हुँच
जब जँछि कुँमाऊ मी
बदलि बदलि म्याँर कुँमाऊ
दगडि यार का ख्वैगिण
बुब आम्मा ले कम हैगिण
घँघरि ख्वैगे पाँथरि कुँड
ब्यौ बारात डिक्शो डैशँ
औल्ट पौल्ट मिक्स ईवैण्ट
औल्ट पौल्ट मिक्स ईवैण्ट
सँत रँगि कुँमाऊ म्याँर

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

सौण भादोँ चौमासी डर दब्यत रुँठि कै मेघा अब

Aside

भौते दुखद घटना पर अजीब बात छू तसै बरखा पैले ले हुचि पर तदुक जन- माँल क नुकशान नि हुछि..

पैलि ले हुचि…
पद्रँह बीस दिणु
राति ब्याँव झँवड रुछि
नि हुछि जस हुणौ दुख
हमर पाडुँ मा कै हुणौ अब
कै कू समझण कै ऊणौ दब
दब्यत रुँठि कै मेघा अब
सौण भादोँ चौमासी डर
दब्यत रुँठि कै मेघा अब

पूर्वज ले जोडि प्रकृति बै देखि
देखा पाँडु क रिति
सौण भादोँ चौमासी कू
धाँर- नौले, ऊचँ- निच धार
हँसदा खेलदा चौमासी गाँड
कैक लागि पट नजर
छेडा छाडि प्रकृति मा देखा
दब्यत रुँठि कै मेघा अब

इन्द्रँ लोक कू मञि बाँदल
जो पारित राँहत डेम मा देखि
मनखुँण कि युँ कुरिति
कुरिति तूँ आपँदा देख
दब्यत रुँठि कै मेघा अब

जगत र्निमाता तीन कणो से
सँचालित रहता धरा पटल
वायु- जल- समय चँक्र- कू चलणु बल
रोक दे इनको
समय निकट छू काल समय
समय निकट छू काल समय
दब्यत रुँठि कै मेघा अब
दब्यत रुँठि कै मेघा अब

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

अखौलि-मसौलि “कथा सत्य एव असत्य पर अधारित है”

Aside

“सत्य या असत्य कँथा”

बात उ टैमक छू जबै खेति बाड़ि क पैल चरण सी
पहाड मा ल्वाँरक दी चेलियाक अखौलि अर मसौलि आपसी प्यार अर जिमदारो जे बुत करण क देखि बेर गौ वालु कै दर्प दहा बै जल ग्याँ
गौ क चेलि ब्वाँरियाल उ दी बैणि क बीच मा फूट डालण भँग्या जैक कारण आखौलि मसौलि मा थ्वाँड थ्वाँड झगँड सुरुँ हुण भँग्यो
गौ क चेलि ब्वाँरिया दिणु बैणियक झँगड देख बै भौते खुश हैग्याँ
फिर ले दी बैणि तदुक झँगड करबै अलग नि रै सगणैर भाय
एक दिन गौ क चेलियाल अर ब्वारियाल मसौलि कै भौते भडकै दे
कि अखौलि त्यर रँग रुप देखि बेर जलै अर त्यर बस वैमा बिल्कुल नि चलन
उदिण बटि मसौलि अखौलि कै गधैणक चाँक मा रुणैर भय्य
एक दिण दी बैणि मा भौते झगड हैगोय अर दी का दी शिव तपस्या मा लिण हैग्या
शिव भगवान दिणुक तपस्या से भौते खुश हैग्या अर अखौलि कै पैल दर्शन दिनि- पुञि माँगो कै वर चै अखौलि आपण दुखडा बतै बै कै हे भगवन मिगि यस वर दिया कि म्यर बैण मिगि कदुक ले लडै झगड करो मिगि वैक कै असर नि हो अर बैणि दगै म्यर साथ ले कभै ना छुटो शिव भगवन तषातु कै बै ले जाणि
वैक बात भगवन मसौलि कै दर्शन दिनि अर वर मागु कुणि
मसौलि हे भगवन म्यर बैणि अखौलि म्यर रंग रुप पे दर्प दहा करे अर उ म्यर हबै भौते ताकत वाल छू यैक वैल उ हमेशा कटैल दे
मिगि यस वर दिया, कि मिले आपण बैण क खुबै कूँट सकुँ पर वेक मन मा म्यर प्रति कै ले मन मिटाव ना हो अर हमेशा हम दी बैणि दगडे रु
शिव भगवन तषातू कबै कुनि कि तुम दी बैणियक आपसी प्यार देख बैर मि भौते प्रसन्न छू पर गौ क चेलि ब्वाँरियाल तुम दिणुक बीच ज्यू देष भाव पैद करो य उणर लिजि सुख दुख क कारण ले बनल

अर जब तक य पहाड मा रित रिर्वाज अर सस्कृति रौल तबै तलक तुमर अस्तिव अर पूँजा सदा ह्वँल
य चेलि ब्वारि त्यर इच्छा पुर कराल
रोज य चेलि ब्वारिया मसौलि बटि अखौलि कूटाल, तुम दी बैणिक आपसी प्रेम बटिक य धान मिर्च हल्दी धनि आदि चिज खाण लायक ह्वँल पर य कुटण मा चेलि ब्वारियक हाथण छाँउ(छाँला) पडणक कष्ट मिलल अर तुम दी बैणि जीव ना निर्जव बण बै सदा एक रौला

ये है अखौलि मसौलि कि कथा जो कि आज भी साथ है और आज भी उन बेटियो अर बहुवै के हाथ मे छाले पडते है

कथा का सदेश-
“जस करला वस भरला”
“नक फँसल उगाला
उगिल पिढि के पिढाँला”

इस कथा का सत्यता का प्रमाण नही है पर असत्यता का भी कोई प्रमाण नही

“कथा सत्य एव असत्य पर अधारित है”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“आवा जावा गीत सदा पाँडुक गावा”

Aside

लकडि जलै राँख हँवै
बुँढ बल्दै भाग माँट रँवै
जड़ चेतण हे अबाँटण
राँख माँट म्यर भाँगण
का गै तेरो दैऐ डकैण
डक डक हैगे गौ बँखै
रित रिर्वाज पुँजै थाँण
घाँ पिरुँग ना भैसि थाँण
रे कि दाणि…
रिट गै आँखो मा काँई काँई
“आवा जावा गीत सदा पाँडुक गावा”

पैचँ ल्यौटे दै म्यर बोलि आज
उ ऐणँ बँख्त पल्टै दै आज॥
उ ऐणँ बँख्त पल्टै दै आज॥
कुँच रितँ रैजँ कु रितुँ ल्यौटे दै
म्यर पैचँ लगै तूँ पैचँ ल्यौटे दै
जै माँटु क पौध दब्यँतू क चढँता छण
नव पौध बणिक माँटु मा उगता छण
यु माँटि क डैल
यु माँटि मा पिसँणु क सैतँ
सैति मा रितँ रिति क पैचँ
लकडि जलै राँख हँवै
तूँ पैचँ ल्यौटे
तूँ धर्म निभै
सैतँ जलै ना रित मिठै॥
सैतँ जलै ना रित मिठै॥
“आवा जावा गीत सदा पाँडुक गावा”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“म्यर बैणा तूँ हैगे विराण छँजगै तेरो डोला अजाण” (कुँमाऊ ब्यौ गीत)

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म्यर बैणा तूँ हैगे विराण
छँजगै तेरो डोला अजाण
जा बैणा जा चेलि
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि

पार धाँरु छैगे
बरैतियोँ क रमँरौडि बैणा
लाल निशाँणु लिबै ऐगो बँणा
ढोलँ ढमँऊ नाचा कुदि
र्ध्वग मा ऐगो त्यर बणा.. बैणा
मुकुटै माँऊ त्यर मन मित
सँजगै बैणा बेदि रित
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि॥
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि॥
माँठ माँठू ऐ तूँ जय माला पैरे॥
माँठ माँठू ऐ तूँ जय माला पैरे॥

म्यर बैणा तूँ हैगे विराण
छँजगै तेरो डोला अजाण
जा बैणा जा चेलि
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि

ईष्ट मिञ बरैति घरैति
ग्वँल पिठाँ त्यर दाँन बैणा
बेदि मा बैठि
सँजै धँजै त्यर डोँट न्थूलि
दुध धाँरै जै रुप बैणा
बेदि मा बैठि
नि रँवै भैजि कै आज
सात फैरुँ क सात कँसम
हैजाल बैणा पुर रँश्म
कँन्यादाँन त्यर शँय्यादाँन
त्यर म्यर बीच बेदि रित
कँन्या पक्ष बै वर पक्ष कि तूँ बैणा
त्यर म्यर बीच बेदि रित
आँखा आँसू छँलकै गीत॥
आँखा आँसू छँलकै गीत॥
आज पराय बैणा प्रीत॥
आज पराय बैणा प्रीत॥

म्यर बैणा तूँ हैगे विराण
छँजगै तेरो डोला अजाण
जा बैणा जा चेलि
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि

ना रो नि रँवै हे बैणा तूँ
कँका ताँऊ घैँ भैटि
बैठि जा तूँ डोला मा
तूँ हैगे दाँन
छोडि दे घर आँगण थाँण
जा बैठि जा डोला मा
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि
जा बैणा जा चेलि
बैठि जा तूँ डोला मा
भेजि कँध त्यर डोला मा
नि छोडि बैणा आँसू मा
ना कर देर जा बैणा
सफेद निशाँण लाँगगो बाँट
बैठि जा तूँ डोला मा॥
बैठि जा तूँ डोला मा॥
अब नि थाँमण म्यर आँखा आँसू॥
अब नि थाँमण म्यर आँखा आँसू॥
जा बैणा जा चेलि
दुरँकुणै दिन तूँ आलि बैणा
आपणु भैजि क घर आँगण
जा बैणा जा चेलि॥
जा बैणा जा चेलि॥

म्यर बैणा तूँ हैगे विराण
लैगे त्यर डोला अजाण
जा बैणा जा चेलि
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि॥
म्यर आँखा हैँसि आँसू ना छोडि॥
जा बैणा जा चेलि॥
जा बैणा जा चेलि॥

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड

हे भगवति माता सुन माता सुन पुँकार

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हे भगवति माता
सुन माता सुन पुँकार
दर दर भटकि
माँ ममँता दैणु कू प्यासि
बस माता ठोकर छू पायि
आँचल कू यू क्याँरि सूणि
सूणि हैगे जूणि मेरी
हे भगवति माता
तू ले कि नारि
कै एक नारि कि दुख नि जाणि
ज्युँ दे त्वीलै यु नारि रुप
माँ बणकु सुख ले दे
मी लाचार बणिक त्यर थाणो मा
गो हत्या नि बन वे माता
एक नारि माँ नि बन पायि
गो हत्या नि बन वे माता
गो हत्या नि बन वे माता

हे भगवति माता
सुन माता सुन पुँकार
रोज उणाल त्यर लाख भँक्त
कै गिनति नैहेतो भँक्तो मा मेरी
सबकू दिछै मन वाँछित वर तू
जो ऐजा माता त्यर थाणो मा
मी ले कि ऐरु
यु बँजर आँचल त्वैमा फैलि माता
एक अँकुर दे
माँ रुपि एक जूणि दे
ज्युँ दे त्वीलै यु नारि रुप
माँ बणकु सुख ले दे
मी लाचार बणिक त्यर थाणो मा
गो हत्या नि बन वे माता
एक नारि माँ नि बन पायि
गो हत्या नि बन वे माता
गो हत्या नि बन वे माता

हे भगवति माता
सुन माता सुन पुँकार
जबै मैथे बाँजण कुणि
बस म्यर आँखा आँसू रुँ
बस म्यर आँखा आँसू रुँ
बडे आस सै ऐरु माता
सब जाँग फैलि हाथ वे माता
बस निराशा लागि हाथ
साँस सौरा ले कौसि है
स्वामि ले मुख मोडि है
जँग तानोँ सै हारि माता
त्यर चरणोँ मा ऐरु माता
ज्युँ दे त्वीलै यु नारि रुप
माँ बणकु सुख ले दे
मी लाचार बणिक त्यर थाणो मा
गो हत्या नि बन वे माता
एक नारि माँ नि बन पायि
गो हत्या नि बन वे माता
गो हत्या नि बन वे माता

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“कुमाँऊणि पाठ-शाला” (विषय- क्वँर)

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“कुमाँऊणि पाठ-शाला”
(विषय- क्वँर)

परुँल- परुँ “चाँआ”(चाय) पका दे रे

परुँ- ठीक छू ईजा

“परुँवा बौज्यु क्वँर छाटँण मा लागि भाय”
(परुँवा बौज्यु चावल मे से धान के बीज अलग करने मे लगे है)

परुँ- वँयि(माँ) चाँआ दगै कै ठुँग ल्यूँ

परुँल- क्वँर चाँआ दे

परुँवा बौज्यु- क्वँर ता चाण मा लारिण (परुँवा बौज्युल सोचा मुझे बोल रही है)

परुँ- बौज्यु बौज्यु आ ईज क कै हैगु

परुँवै बौज्यु- किले रे कै कुणै त्यर ईज

परुँ- बौज्यु ईज चाँआ दगै क्वँर माँगने

परुँवै बौज्यु- अच्छा ले य क्वँर दिदै आपण ईज कै

परुँ- ओ ईजा ले चाँआ

परुँल- ला दै

परुँ- ले ईजा हाथ कर

परुँल- अब कै दिणछै रे मिल क्वँर चाँआ मागौ

परुँ- हौय क तबै ता चाँआ दगै क्वँर लिबै ऐरु

परुँवा बौज्यु- आओ भुला ददा मि बतुणु क्वँर क मतलब
(कुमाँऊणि शब्दावलि क क्वँर क दो मतलब हुणि)

क्वँर@1- चावल मे जो धाँन के बीज होते है उनै क्वँर कहा जाता है कुमाँऊ मे

क्वँर@2- इसका दुसरा अर्थ ये है क्वँर क्वँरै मतलब खालि

(“क्वँर चाँआ दे” के दो मतलब निकलते है-
1- मिठा रहित चाय देना
2- चावल से धान के बीज ढुँढना तो)

(“वँयि” कुमाँउणि शब्द जिसका अर्थ माँ है)
(“ठुँग” चाय मे प्रयुक्त होने वाले जैसे- चिनि, गुड्डँ, मिस्सरी इत्यादि को ठुँग कहा जाता है)

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“कदुकै दिन बिति गै आज ना चिट्टि कतरि मा बात”

Aside

ना स्वैणु मा भेटँणि तूँ
कैहुर्णि रिसै रैछे तू
कदुकै दिन बिति गै आज
ना चिट्टि कतरि मा बात
थ्वँड स्वैणु मा ऐजा आज
यु जिकुडि तै बुँथै जा सुवा
दिन भैरिक ड्युट्टि मेरी
नि मिलणु टेम लिखणु कू कतरि
नि मिलणु टेम लिखणु कू कतरि
हे सुवा थाकग्युँ मि त्यर मुखडि क जाल
थ्वँड स्वैणु मा ऐजा आज
यु जिकुडि तै बुँथै जा सुवा
कदुकै दिन बिति गै आज
ना चिट्टि कतरि मा बात

दी डबलु मा बण गै स्वैण
आँखा खोलि जै हैग्यु पार
सुखलि सुखलि आँखा मेरी
तड तड सुवा बस तेरी यादा
आँखाण बा झडणि सौण भादोँ क आजा
नि तरणौय गाड़ मैहुणि बुलै ले पारा
थ्वँड स्वैणु मा ऐजा आज
यु जिकुडि तै बुँथै जा सुवा
कदुकै दिन बिति गै आज
ना चिट्टि कतरि मा बात

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

जिन पर्वत मे निलि घँघरि हरिया धोति धाँरण करती ओ उत्तँराचल है अपनी माँ ओ उत्तँराचल है अपनी माँ ओ उत्तँराचल है अपनी माँ

Aside

ये निला रँग
ऊँचे ऊँचे पर्वत मे फैला
जण कै कि घँघरि है ओडि
ये निला रँग घँघरि रुपि मनमोहित कर लेता
ये निला रँग
ऊँचे ऊँचे पर्वत मे फैला
जण कै कि घँघरि है ओडि

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(फोटो मनिष महेता जी)

हरयालि बिखरी
माँ के आँचल कि हरिया धोति
जण ऊँचे ऊँचे पर्वत मा फैला
ना आँखो कि तृप्ति होती
इन पहाडो मे
जँहा दुर बसैर
हर एक पर्वत मे
मन मौह लेनी वाली
स्यार और खेत सिढि दार
बुणियो बोट ठिठँ बरकण
बचपन के है अपने रँग
गोरु गाँऊ कू
स्यौँत चाण कू
बचपन के है अपने रँग

जिन पर्वत मे
निलि घँघरि
हरिया धोति
धाँरण करती
ओ उत्तँराचल है अपनी माँ
ओ उत्तँराचल है अपनी माँ
ओ उत्तँराचल है अपनी माँ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

ओ ईजा वै (सुन्दर कबडोला)

Aside

ओ ईजा वै
घाम पड़ि निमँवै दाँण
नूँण कम खँट्ट मन
ओ ईजा वै

नि लागणौय मन मेरो
बिन तेरो ईजा हो
परदेशु मा का ढूँढु
त्यर छँवि कूँ माय ईजा
त्यर छँवि कूँ माय ईजा
मन जै मेरो खँट्ट हैगो
बिन तेरो हो ईजा वै
बिन तेरो हो ईजा वै

ओ ईजा वै
नौ बाजि बै डुट्टि मेरी
खाँण पकुण भाँण मजुण
टेम बेटम टेम नै
भुखै पेटु डुट्टि जाणु
ओ ईजा वै
अब जै उणि याद वै
त्यर पकाई मडुँव रँव्ट
घ्युँ लगाई माय चपौडि
याद जै उणै भुखै पेट
याद जै उणै भुखै पेट
मन जै मेरो खँट्ट हैगो
बिन तेरो हो ईजा वै
बिन तेरो हो ईजा वै

ओ ईजा वै
घर हुँछिया तूँ डाँटछि
वँल्गी-पँल्गी फैरण मा
दिल्ली लागि डुट्टि मेरी
वँल्गी-पँल्गी जाण कूँ
कौ डाँटल हो ईजा वै
कौ डाँटल हो ईजा वै
आपण नैहतण कूण मा
सब पराय हो ईजा वै
सब पराय हो ईजा वै
मन जै मेरो खँट्ट हैगो
बिन तेरो हो ईजा वै
बिन तेरो हो ईजा वै

ओ ईजा वै
नि मिलण हो माय तेरो
परदेश क भिड़ मा
सुन्दर मुँया गजबजी
दी डबलु क डाँड मा
मन जै दुखि रो मेरो
मन जै दुखि रो मेरो
बिन तेरो हो ईजा वै
बिन तेरो हो ईजा वै

ओ ईजा वै
घाम पड़ि निमँवै दाँण
नूँण कम खँट्ट मन
ओ ईजा वै
दी डबलु क डाँड मा
दी डबलु क डाँड मा
मन जै दुखि रो मेरो!!
मन जै दुखि रो मेरो!!
मन जै दुखि रो मेरो!!
मन जै दुखि रो मेरो!!
बिन तेरो हो ईजा वै!!
बिन तेरो हो ईजा वै!!
बिन तेरो हो ईजा वै!!
बिन तेरो हो ईजा वै!!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“पैलि तँन्खा मिलगै हो याद जै ऐगै बौज्यु हो”

Aside

“पैलि तँन्खा मिलगै हो
याद जै ऐगै बौज्यु हो”

दी डबलु कस हुणि हो
याद जै ऐगै बौज्यु हो
कसकै कमाई तुमलै हो
आज लागो हो पत हो
आज लागो हो पत हो
“पैलि तँन्खा मिलगै हो
याद जै ऐगै बौज्यु हो”

ठीक कुछिया बौज्यु हो
पँढले च्याला पँढले हो
“तेरो पँढे काम लागल तेरो हो”
नि मानि हो बौज्यु हो
त्यर कैई बात हो
त्यर कैई बात हो
“पैलि तँन्खा मिलगै हो
याद जै ऐगै बौज्यु हो”

पैलि तँन्खा मिलगै हो
दिल जै मेरो दुखगै हो
गिणँडु-गिणँडु डबलु हो
खाणोँ-पिणो किराया हो
गिणँडु-गिणँडु डबलु हो
कम जै पड गिण डबलु हो
“काबै भैजि घर कु हो”
दिल जै मेरो दुखगै हो
दिल जै मेरो दुखगै हो
“पैलि तँन्खा मिलगै हो
याद जै ऐगै बौज्यु हो”

तबै कुनु हो दगडियो रे
ईज-बौज्यु क कौईई मानो
पढे लिखे बै ठाँड हैजा
ईज-बौज्यु क सहार दिजा
ईज-बौज्यु क सहार दिजा

“पैलि तँन्खा मिलगै हो
याद जै ऐगै बौज्यु हो”
दिल जै मेरो दुखगै हो
दिल जै मेरो दुखगै हो

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“हलिये द्वारा बैलो को सकेँतो का अध्याय” (एक बेहतरिण हलिया हमेशा मार के विपरित हाँक से बैलो को अपने काबुँ मे रखते हुऐ हल लगाता”) सुन्दर कबडोला

Aside

“हलिये द्वारा बैलो को सकेँतो का अध्याय”

(एक बेहतरिण हलिया हमेशा मार के विपरित हाँक से बैलो को अपने काबुँ मे रखते हुऐ हल लगाता”)

ह पाण पाण- बैलो को पानी पीने का सकेँत

रौअ…. अ- बैलो को रोकने का सकेँत ( प्रोफ्सिनल हलिये बैलो को रोकने के लिऐ अन्य प्रकार कि आवाज निकालते है जिसे लिखना थोडा मुश्किल है पर उनकी प्रकिया कुछ युँ “होठो को दाँतो के बीच रख कर अन्दर को
जोर से साँस लिना जिससे पतली सी ध्वनि निकलती है जिसके सकेँत माञ से बैल रुक जाते है)

हअ… बँल्दा हअ- बैलो को चलने का सकेँत

हअ… कई, हअ… खैरु- बैलो के नाम से सकेँत देना

ह ईजाँऊ- बैलो को मिनाँऊ ( निचे के तरफ) के तरफ हल मे चलने का सकेँत (इस सकेँत का प्रयोग ईजाँऊ तरफ हल लगाने मे किया जाता है)

ह कनाँऊ- बैलो को भिड (ऊपर के तरफ) के तरफ हल मे चलने का सकेँत (इस सकेँत का प्रयोग कनाँऊ तरफ हल लगाने मे किया जाता है)

ह… तल, ह… मल- बैलो को हल मे ऊपर या निचे चलने का सकेँत

ह सिख बँल्दा- बैलो को बाँयै (हल लगे हुऐ ) हुऐ सिखोँ के समान्तर चलने का सकेँत (ताकि खेत मे बिरौड ना छोटे)

ह डुक डुक- मल ईजाँऊ से तल ईजाँऊ मे हल चलाते समय उस कोने को निकालने के लिऐ हलका सा गोलाकार हल लगाने के लिऐ बैलो को सकेँत, इस सकेँत का प्रयोग भीड तरफ से ईजाँऊ तरफ हल लगाते समय भी दिया जाता है यदि कोई कोना हो तो, और ग्रेहु के फसल के समय मौय लगाने मे इस सकेँत का प्रयोग अधिक होता है (ये सकेँत मूलत: खेत के कोनोँ मे हल लगाते समय दिया जाता है)

इस प्रकार हल चलाते समय हलिया चिगाँण भी हो जाता है तो बैलो को सिखौड मारते हुऐ “भ्यौणड पडि बल्द” कह के भी चेतावनी दार सकेँत देता है

सिखौड से सकेँत व बैलो के पुछँड अमौर के सकेँत भी हलिये द्वारा बैलो को दिया जाता है

बैल भी चिगाँण और हलिया भी चिगाँण पर ये सकेँत एक दुसरो कि मुश्किले कम कर देते है

“इसि लिऐ एक बेहतरिण हलिया हमेशा मार के विपरित हाँक से बैलो को अपने काबुँ मे रखते हुऐ हल लगाता”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

‘मौत दुखै कि छै तूँ बोतल’

Aside

दाँरु पैण मौहल जै देखि
हौसि हौसि देखा देखि
दिल ललचै हे बोतल प्यारी
जण नयि नवैलि दुलहण जण
शर्म समैरि…
दिल ललचै हे बोतल प्यारी

दगडियो क देखा देखि
च्यँस करणु कू उ अदाँज
चसैक लगै यु बोतल प्यारी
चसकि गँयु मि त्यर भँरम
ढिमि गँयु मि त्यर खँसम
दिल ललचै हे बोतल प्यारी

“अब बिण बोतल
मि हैग्युँ खोखँल”

बिण तेरो नि तरणौय जीवन
दिल ललचै हे बोतल प्यारी

कदिनै उतरि इग्लिश मा तूँ
अब देशि थँरि मा रैगि तूँ
दगडियु क देखा देखि

‘यस लत मा रँम गौय मि
र्कज दारो मा फँस गौय मि’
दिल ललचै हे बोतल प्यारी

भैर उण कू बाँट ले तूँ
र्शम काव कू बोतल तूँ
सच बतु सचाई त्यर
बोतल मा बैठि ललैण ललैण
‘मौत दुखै कि छै तूँ बोतल’
‘मौत दुखै कि छै तूँ बोतल’

ना सुख चैण मिलो यु दाँरु मा
हर दिण कू यु बरबादि मा
झुलसा मै झुलस गया परिवर है मेरा
दिल ललचै हे बोतल प्यारी

दिल ललचै हे बोतल प्यारी
जण नयि नवैलि दुल्हण जण
अर्थि मा बैठि हेग्युँ हम
अर्थि मा बैठि हेग्युँ हम

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

कै छू ईजा?

Aside

कै छू ईजा?
सबसे ऊँचो धर्म छू ईजा!

कै छू ईजा?
आचँल मा ससाँर छू ईजा!

कै छू ईजा?
बिन मांगि वरदान छू ईजा!

कै छू ईजा?
दी अक्षर कू ज्ञान छू ईजा!

कै छू ईजा?
भगवान कू पुँजा दब्यँत थाण छू ईजा!

कै छू ईजा?
आँख सै दैखण भल दिक्षा कू ज्ञान छू ईजा!

कै छू ईजा?
भल बाँटु हिटणो कू सहार छू ईजा!

कै छू ईजा?
छाति दुध आत्म मंथन कू अमृत छू ईजा!

कै छू ईजा?
मुख निवाल भल बोली कू ज्ञान छू ईजा!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

मि गौ मुलुक ऐई गिण

Aside

मि भोपरी गिण
मि कफरी गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

मि विराणि गिण
कुडि तालि गिण
पात्थर फुटी गिण
नौअ बुझी गिण
बाँटा-घाटा
बुड-बाडि लुकी गिण
नाना-ठुला तली गिण
क्याप-क्यापटी गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

मि ता हरर्चि गिण
नई रीती-रिवार्जिक गिण
विराण सस्कृति ऐई गिण
उधारिक खाण-खाई गिण
तौल-कस्यार बरकि गिण
डेकचि-डिनरसेट चम्मचि गिण
”ब्याह बरात डिक-चिक..डिक-चिक
सैणि-मैसा ठुमकि गिण”
वांन डे बारात आई गिण
टेण्ट क खाणा उलझि गिण
चेलि-च्याला सुलझि गिण
लव यू..लव यू बोलि गिण
आंख मट्टका जोडि गिण
पढि पढाई लिखी गिण
मोबाईल क मैसेज ऐई गिण
नौणा-नौणि भाजि गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

पैला-ज्यू जा छोडि गिण
हैलो-हाई जोडि गिण
लाकड-कणखोवा हेरि गिण
दूई-तूई सेलेण्डर भेरि गिण
घर क घौत-भट्टा गुमि गिण
चक्की क आटा झूमि गिण
घट क नौऊ घटि गिण
गाङ-ग्धेरा कचडि गिण
माच्छी क ज्यू मैणि गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

होई क त्यार ले बदलि गिण
दारू क पेक ले चलि गिण
नाना-ठुल ले टलि-टलि गिण
आँगण मा झपडम-झडि गिण
दूयू बूँद-य कै टपकि गिण
बूडि-बाडि ले सरमे गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

पुराण रिवार्ज ले बदलि गिण
बानर ले देखि कपटि गिण
आलू-प्याज उपाडि गिण
बालाड ले टोडि मुनि गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

सुन्दर कबडोला छुट्टी पुरि गिण
टप-टप आँसू टपकि गिण
मि गौ मुलुक ऐई गिण

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

“चेली बचाओ… बोट लगाओ..”

Aside

बोट अर चेली छायादार
सिचँ बै रखो इनको आज
कल खुशी कु छु यु दार
सोच समझ बै कल को देखो
ना बोट को काटो
ना चेली मारो
कल किरण कु रेखा छण यु
“चेली बचाओ… बोट लगाओ..”
माँटी मा इनरी जोत जलाओ

अगर नै समझै कल कु बात
यस नै हैजो
बोट तले नै छाया रो
घर तले नै जननी रो
नै साँस मिले
नै नवजीवन
कल बनाओ इनको सिचौ
“चेली बचाओ… बोट लगाओ..”

कल कु छू यु एक नारा
भुत भविष्य नि लोटण फिर

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

बस पैसे मे तुलता डिग्ररि

Aside

ईजा बौज्यु हाँट बाँट तोड
जूँ क्याँरि कै सिँचै त्वै
कौप किताब कलम दँवात
भल अकँक्षर कु ज्ञान दिला
पढे लिखे यु डिग्ररि ले
काम नि लागि ईजा बौज्यु
बाँगश्रेर आँल्माड हँल्दानि दूँन
नि लागि यु शिक्षा काम
बस डबलु मा तुलगै डिग्ररि
चुर चुर हे सुपनियु रे

पढे लिखाई हे बौज्यु त्वील
काम नै लागि त्यर मुँया
डबलु मा तुलगै
तुमर मुँया कु मेहनत आज
रुवै रुवै म्यर डिग्ररि आज
हारी ग्युँ हारी गै
ओ ईजा-बौज्यु रे
क्षमा करे यु चेला कै
जूँ उठे नि पाई सुपनियो जाग
त्यर सुपनियो बदलु कै दु आज
तुलगै नौकरि हैशियत मा आज

तुलगै बौज्यु तेरी मेहनत
तुलगै ईजा तेरी आश
तुलगै सुपनियो मेरो आज
गरीब मुँया कि डिग्ररि यारोँ
गरीब मुँया कि डिग्ररि यारोँ

हे सरकारी बाबु
कै मोल छू मेरो डिग्ररि आज
ले म्यर डिग्ररि थाँम
ईज बौज्यु कु दे दै दाँम
ईज बौज्यु कु दे दै दाँम
ईज बौज्यु कु दे दै दाँम

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“मुर्गि टाँग देशी दाँर मिल बैठि यु चारो यार”

Aside

मुर्गि टाँग देशी दाँर
मिल बैठि यु चारो यार
परुँवा- खिमदा- चनुँवा- शेरदा
जेठ फुँकि कु गर्मि-घाम
दयाल-दा कु सुखि-राम
अजब-गजब कु दगडु थाम
चार पियकड़ काम बियकड़

“बिन पानी कु सडकै देशी
इँग्लिश मा तै फुकनी लेजी”

दयाल-दा वेटर इन दा ग्रेट
मूलि- टाँग, मुर्गि- प्याज
और कै छू रे इन दा डेट

अ से ब भल हैरो कौ
“देशी नँश- पहाडि मँस्त
इँग्लिश फँस्ट- दयाल-दा पँस्त”

जथै जानी यु चार पियकड़
सफल हैजा ऊ काम बियकड़

मुर्गि टाँग देशी दाँर
मिल बैठि यु चारो यार
रुँड भिकाँणु जण टिटाँटु
“अनँपढ कु यु देशी गम
पढी लिखी कु इग्लिँश रम”
अ से ब भल हैरो कौ
परुँवा- खिमदा- चनुँवा- शेरदा
कस पहाड कस हैगो हाल
अ से ब भल हैरो कौ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“नि जलाओ नि जलाओ हैरि भैरि दाण टुकि”

Aside

नि जलाओ नि जलाओ
हैरि भैरि दाण टुकि
नि लगाओ नि लगाओ
ऊँचो निचो दाण टुकि
हैरि भैरि धार रुखि
अदभुत रौनक ठाँड बैरि

नि जलाओ नि जलाओ
तुमँरु हमँरु यु पहाड
हैरि भैरि कै बिगै (नुकशान)
फल दारु गौर बाँछु
चरणि हैरि एक निवाल
ऊँचो निचो दाण टुकि
रुँडि दिना धुँघरि(धुँवा) पट

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नि करो नि करो
पहाडुण दाण टुकि आग लगै
चाड़ पथिल उडणि फुर
“एक पेडु घोल पडि
चाड़ पौथि आण जलि”
सोचि मेरी बैणि दाज्यु
चाड़ पौथिल आँख भैरि
बेजुबाण प्राण भयि
वैकु मुँया कैल मारि
आण भदैर सँसार नै
विनती मेरी गिनति तेरी
जैल लगाई आग रे
ऊँचो निचो दाण टुकि
नि लगाओ नि लगाओ
हैरि भैरि दाण टुकि
तुमर हमर यु पहाड
नि जलाओ नि जलाओ
हैरि भैरि दाण टुकि
ऊँचो निचो दाण टुकि

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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जबै यु ऊणि चुनाव पहाड मैणि(बेहोश) जानि पहाडि मैसि

Aside

जबै यु ऊणि चुनाव पहाड
मैणि(बेहोश) जानि पहाडि मैसि
“जस गाँडु कु ग्वँद मा मैणि
फरकि जानि माच्छि माच्छ”
हौश ऊण तै हैजा काण्ड
फिर पँच्ताणि कै छू काण्ड
मंञि सन्तरि ले डँकार
माच्छि- भाति- दाँवत- स्वाद
पाँच बरस तक रुँ अपचन
पहाडि मैसि फैसिँ काँट
जण बन्सिँ मा तडपि माच्छ
हौश ऊण तै हैजा काण्ड
मंञि सन्तरि हैजा पार

फिर देखो यु सन्तरि मँञि
कै कुनि त्वैथे बात
“चल पाड़ि लोटा पाँड (पकड़)
आपण मुनैई आपै फाँड (फोड)

जबै हौश ना त्वैगे वार
कै करले तू ऐबैर पार
चल पहाडि आपण मुनैई आपै फाँड

तबै कुनु रे पहाडि दगडियो
हौश लगै तू वोट लगै
मंञि सन्तरि प्रलोभन मा
नि भागा दगडियो
त्वै चुनावी रैलि मा
मंञि सन्तरि दैदल धँवक
भै बैणि तू रँट ले अब
भै बैणि तू रँट ले अब

हाथ कू बोटल दाँरु मा
फुल पिछाडि डँबलू मा
सोच समझ वोट लगै
आपण पहाडु भविष्य बनै

मि ता पलायन माँरु छण
म्यर गौ गाड़क दगडियो तुम
म्यर कलमु कूँ एक विन्रति सुन
म्यर कलमु कूँ एक विन्रति सुन

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ बस बँख्त कूँ फैर पडि”

Aside

ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
बस बँख्त कूँ फैर पडि
सदा नि रुणि एक समान
ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
जूँ स्वामि त्यर… मुख मोडि आज
भटकि रो उ आ-बाटँण
परीक्षा लैणु जीवन दाता
हिम्मत बँधै तूँ हिम्मत धर
ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
बस बँख्त कूँ फैर पडि
सदा नि रुणि एक समान

हे भुला म्यर सुन्दरा तूँ
ना ईज बौज्यु तै… कैई तूँ
आपण मनै मा लुकै रखि
त्यर जीजा कूँ ना चिट्टि पतरि
ना नानतिण कु माय अर प्यार
सुणि जै हैगे चरुँव सिन्दुरि मेरो आज
ना ईज बौज्यु तै… कैई तूँ
आपण मनै मा लुकै रखि
ना रौ ना रँवै हे भुला तूँ

ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ

कसि थाँमु युँ आखँण आँशु
जैकि दिल मा म्यर पूँजा
अद बाँटण मा छोडि साथ
छोडि हैलो घर अर बार
जैक दगैई…
सच मने बै रिश्त निभै
छोडि हैलो कै कारण?
छोडि हैलो कै कारण?
बोल रे भुला सुन्दरा तूँ

कसि थाँमु युँ आँखण आँशु
दी चेलि एक च्याला छू
भरि जवानि अद बाँटण
माय कि डोर तोडि हे
माय कि डोर तोडि हे
ना रौ ना रँवै हे भुला तूँ

ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
बस बँख्त कूँ फैर पडि
सदा नि रुणि एक समान
आज नै तूँ भौवे आल
जबै समझ उ आई जाल
ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
च्यला चेलि मुख देखि
बिति जाल त्यर जीवन
जै ले सुख दुख हौला त्वैगे
हम भैणु तै कैई तूँ
हम भैणु तै कैई तूँ

ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ
बस बँख्त कूँ फैर पडि
सदा नि रुणि एक समान
ना रौ ना रँवै हे बैणि तूँ

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“मल श्यैर कि पँरुल घसैरि जिन्स टोप कि तूँ फँरारि”

Aside

मल श्यैर कि पँरुल घसैरि
जिन्स टोप कि बड़ बोलि
दिल्ली वालि भाँभर वालि
नाँख टिपि ना पैला ज्यूँजा
ख्वँर मा डाँलु हाथ मुबाईल
अजब गजब इस्टैला छू

सार गौ कि तूँ न्याँरै
त्यर बुलाणु अलग मिजातु
बुँढ बाँढि ले कफरि रिई
अजब गजब त्यर इस्टैला छू

पतैई पतैई ठँगरा जण
जीरोँ फिँगर तूँ…
घँन्तर मारि बोलि जण
गौ मा अलग दैखेणि तूँ पँरुलि छै
बाँऊ ले त्यर घुँघरि पट
लटकि मटकि झुँगरि पट
मल श्यैर कि पँरुल घसैरि
अणकसै त्यर नखरा छण

अँखो कुटि ना कँवरै धाँनु
दम मुँसै सी त्यर बुलाणु
ठीठ्ठँ बरकण सी
टोप गैयँर मा हिटणि छै
आहा रे पँरुलि
पेट्रोल वर्जन डीजल कि तूँ
नयु नयु पाँडु मा मोडँल
जिन्स टोप कि तूँ फँरारि
ना गिजँ मा गाँठ
ना ईज बौज्यु हाथ
अजब गजब त्यर इस्टैला छू
मल श्यैर कि पँरुल घसैरि

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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अदँभुत सार

Aside

“ऊँचो निचोँ याँकु बाँटु
जँथै ढुँगि तै करनी वास
देव देवो कु जाँगर काथ”

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जाँग जाँग थाँण थाँण
ऊँचो निचो देवो थाँण
गाड़ ग्धैरो निर्मल धार
चाँड़ पथिल गूँज प्रँभात
घुघति कि मार्मिक गाँथ
भै बैणि काँथ है सार
देवभूमि उत्तँरा है विशाल
जतै माँटि मा भूँमाऊ देवो
वास करै ऋषि योगी तपभूमि
शब्द गढ़ै कुँ भाँव कुँर्मो
सरियुँ गोमती र्जण धारा
पूँजि जानी हे सँसार
रित- रिर्वाजु अदँभुत सार
पाडुण र्जण पानी धार
थाँल हुँडुकि देवो नाच
जतै हुणि अवतारित रात
जँगरि धाँत हुँडुकि नाँथ
गुरु गुरु कि महिमा पार
गुरु गुरु कि महिमा पार
“ऊँचो निचोँ याँकु बाँटु
जँथै ढुँगि तै करनी वास
देव देवो कु जाँगर काथ”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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धर्मगड कु ड्राँइवर दाज्यु

Aside

धर्मगड कु ड्राँइवर दाज्यु
कै हैरे तुमरि दिल्ली दिल्ली
सरकारी सेवा भौते दाज्यु
एक आण्ण सुजै दो पैलि दाज्यु
“या ले छू वा ले छू
पर सैर दुनि मा कै नि छू”

धर्मगड कु ड्राँइवर दाज्यु
अनँपढ मुँया म्यर दिल्ली छू
कै देखला तुम
खौजि मौजि म्यर सुपनिया ले दो
दी चार बरस ना चिट्टी पतरि
अता पता नै आसू छू
का ख्वै-गो मेरो मुँया बिचारो
कसि खाणल उ कसि रुणल
अनँपढ छि उ मुँया मेरो
भैर भदैरु पढि लिखि ना
गौरु गाँऊ कु मुँया मेरो
दिल्ली ले गो दी डबलु खातिर
म्यर अण्यारि मुँया मेरो

धर्मगड कु ड्राँइवर दाज्यु
दिल्ली जैकि धात लगे दे
आँख लगैई आस लगै
खौजि मौजि म्यर सुपनिया ले दो
दिल्ली दिल्ली करबै तुमले
सार पहाड दिल्ली ले गै
सरकारी नोटिस पहाडि नानतिण
बिण पाण कु तडपि माँच्छ
तडपि गीण रे बुँढ अर बाँढा
एक फटक हमरु नजरुल
देखि आ रे
धर्मगड कु ड्राँइवर दाज्यु

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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“यु भैर भदैरु समाज कदम अत्याचारि पुरुष समाज”

Aside

नव जीवन कु सूँचक छै
माँ बैणि अर चेली तूँ
ना गर्ब मा सुरक्षित
ना भैर ऐई यु दुनि मा

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“यु भैर भदैरु समाज कदम
अत्याचारि पुरुष समाज”

जबै हैई तूँ गर्ब मा ठैरि
भेद भाव कू बलि चढि
तूँ चेलि छै…
यैक कारण त्यर हत्या है
“यु भैर भदैरु समाज कदम
अत्याचारि पुरुष समाज”

भैर ऐई तूँ फिर ले तूँ
भेदभाव मा बहती धारा
जवान हैई तू फिर ले तूँ
अत्याचारि समाज निगाह बैडि तै
प्रताड़ित छै तूँ चेलि छै
“यु भैर भदैरु समाज कदम
अत्याचारि पुरुष समाज”

ब्याह करबै ले तूँ
सुखि नही तूँ चेलि छै
दहेज कु ताने बाँट मा त्यर
बिछै हुई यु काटु छण
पैद हुण तै मरण तलक
त्यर यौनि बस तूँ चेलि छै
त्यर यौनि बस तूँ चेलि छै

हे नारि तूँ थम जा अब
ना चेलि जात कूँ अँकुर दे
ई पापी दुनिया मा
कै छू त्यर मान सम्मान
हे नारि तूँ थम जा अब
हे नारि तूँ थम जा अब

“यु भैर भदैरु समाज कदम
अत्याचारि पुरुष समाज”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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दुख छिपाती पहाडि नारि

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“ओ रे मेरी पहाड कि नारि
तुमको मेरा कलम सलाम”

लुट लगाती दुख छिपाती
“कटै से लेकर बदै तलक
खेत से लेकर लुट तलक”
र्दद छिपाती काटो मे चलती
“एक पुँवा से एक घटोव तक
पैर हिटै से ख्वर धरण तक”
ऐसी होती पहाडि नारि

विचँल अवस्था अचँल ये रहती
माँग सिन्दुरि आस मे रहती
“डाल दाँथुलि जोड लपेटि”
इनसे पुछो र्दद छिपाती
खेत खलियान दगडियो सँग

र्दद हँवा का झौका चलता
“अँवाई घालि युँ र्दद छिपाती”
जबै युँ पडती सिर मे इनके
धर्म किनारे हल चलती
ऐसी होती त्याग वेदना
“कालि रुपि सरस्वति वार्णि”
फिर भी सहेती दुख है प्यारि

समाज निगाह से…!
कँटु वचन से…!
भुर्ण हत्या से…!
दहेज प्रथा से…!
कैसी है रे त्याग वेदना
ओ रे मेरी पहाड कि नारि

“तुमको मेरा कलम सलाम”
निम (नियम) धर्म मे चलती है तूँ
समाज निगाह से पिटती है तूँ
पति प्रेम के हाथो पिटती
विकल वेदना सहेती नारि
सुख तलाश दुख पिड़ा मे
दुख छिपती है ये नारि

क्या क्या ना सहेती.. है रे नारि
दुख छिपाती…
तेरी जीवन गाथा!
दुख छिपाती…
तेरी जीवन गाथा!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

माय

Aside

घर छुटि बण छुटा
माय नि टूटि मायदारा

राति ब्याखुण शिल जै पिसण
हल्द खुसाणि माय जै ईजा
याद जै ऊणि राति ब्याखुण
जबै निकलणि आँखा डाँडु
परदेशी युँ चेला तेरो
माय लिबेरी माय जै हैगो
माय लिबेरी माय जै हैगो

दी डबलु मा कै छुटि ईजा
नि टूटि रे माय ईजा
चकाचौद सी नगरी मा
निशासी गो रे त्यर चेला
कसि बतु रे ओ ईजा
कसि कटणी दिन मेरा
भुखै प्यासु मुख मा थामु
नि थामिण हो ईजा यादु
नि थामिण हो ईजा यादु

ओ रे ईजा तेरो बात
याद जै ऊणि मैगणि आज
फुकै फुकै कि कै हुणि बात
कैकु सुपणियु कु खातिर
माय लिबेरी दिल्ली वाला
दी डबलु कु आँखा डाँडा
परदेशी यु चेला नाना
माय लिबेरी माय जै हैगिण
माय लिबेरी माय जै हैगिण

जबै यु चलणि आधि रात
खातड उडाई तेरी याद
ठण्ड गरम सी माया तेरो
कसि बतु रे ओ ईजा
तन लिबेरो तल गयो
मन छुटो रे घर मेरो
मन छुटो रे घर मेरो

एक पाँखा घर लगै
एक पाँखा तल जडै
फुर उडि रे दी किनार
परदेशी यु घैल पँछि
माय लगै घैल पँछि
माय लगै घैल पँछि

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola

अदत्त मदत्त को आना रे

Aside

बैशाख महैणु होगी रुँडि
तभै पकै यु ग्युँ क बालि
ग्युँ आँठु मे नँऊ बादण मे
अदत्त मदत्त को आना रे

बैशाख महैणु देखिया रौनक
गढ भिडो मे लागिया कौतिक
ग्युँ बालि कु काटल दाथुलि
ज्वौड लपेडि नँऊ घटौवा
अदत्त मदत्त को आना रे

कही कटेगा ग्युँ क बालि
कही आँगण मे फेर फेर बैलि
ग्युँ दाणि मे चिल फटाँऊ
चुमँऊ ग्युँ मे धुसि लाठि
अदत्त मदत्त को आना रे

मौहट मे सुखलि ग्युँ दाणि
आकाश बै बरसि दौयो दाणि
प्राण सुखि जा मौहट समेटि
बैशाख महैणु झण मण रे
अदत्त मदत्त को आना रे

कही लगेगा लुट को डालि
कही सजेगा ब्यौ को डोलि
कही पडेगा धान बिणौडु
बैशाख महैणु चडकण घामु
अदत्त मदत्त को आना रे
अदत्त मदत्त को आना रे

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola

हाई हाई रे हलिया …….!

Aside

पाँडुण हैग्यु हलियो हाल
सोना चाँदी जैसो भाव
मिल जा जैकुँ हलिया प्याँरु
खुश नसीब उँ बनिया न्याँरु
दीयु बँखै युँ नखँरा चलणि
ग्रेहुँ धान फसल मा यैकुँ देखो
हाई हाई रे हलिया …….!

जौकँ कुँ जैसो खून चुँसू
किस्त से पैलि किस्त उँठु
दीयु बँखै युँ हलिया नखरा
डँबलु मा मन वाँछित फल नि पैई
तबै युँ चलणि सिखुडै कि बेद
बल्दु कु पुँठणि सिखुडै कि रेख
हाई हाई रे हलिया …….!

लँठुरा जँठुरा कानि मा जुँवा
उगैर भरि युँ गँढ मा हलिया
दाँण टुँकि ले कँवरे छुटि
खनने खनने गुसै गुसैणि
पुँछड अमौरि बल्दु रेल
मौय मे डैल बल्दु कुँ यैले पैल
हाई हाई रे हलिया …….!

हथैण पकडि हाथु ले
चाँपर गुमैई सिखु मा
ठाँड असाँऊ यैकुँ नैहँडु
बल्दु कानि कान (छाला) लगै
गुसै गुसैणि आँफत रे
ब्याँव बखै अदि (शराब) चै
दुहर दिने युँ छुटि रे
हाई हाई रे हलिया …….!
हाई हाई रे हलिया …….!

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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मै अभागा भैजि तेरो- मै अभागण बैणि तेरो (ईजा बौज्यु हुणा मेरो)

Aside

अछो….. बैणि
आ खिले दे तौलि भात
भँट्ट डुबुक मुलि थैचि नूर्णि स्वाद
आ खिले दे कुरैट लागि रे तौलि भात
अगिल महैणु यु पैठु
तूँ बनलिल ब्यौलि बैणि
जबै सजल यु डोला तेरो
भैजि आँख्युमा नि चैई बैणि
भैजि आँख्युमा नि चैई बैणि
मै अभागा भैजि तेरो
ईजा बौज्यु हुणा मेरो

ओ म्यर भैजि
रुँले रुँले बै बात करन छै
सुनले भैजि मेरो बात
ईजा बौज्यु हुणा मेरो
डौ (शिकायत) ले कुँछि तेरो भैजि
मै अभागण बैणि तेरी
कस छि ईजा बौज्यु रुप रे तेरो
त्वैमा देखि छँवि रे भैजि
त्वैमा देखि छँवि रे भैजि
तूँ छै मेरो ईजा बौज्यु
कभै नि छोडुण तेरो साथ
सुनले भैजि मेरो बात
कभै नि छोडुण तेरो साथ
रुँले रुँले बै बात करन छै
घुत मा लागल दुँल्हा तेरो
मि नि करनु ब्याँ हो भैजि

समाज निठुर छू बैणि मेरो
नौ धराँल रे मैसि मैमा
ईजा बौज्यु र्फज छै मेरो
सुनले मेरो बात रे बैणि
ईजा बौज्यु…
रात स्वैण मा ऊणि मेरो
बस त्यर बार मा पुछणि बैणि
बस त्यर बार मा पुछणि बैणि
मै अभागा भैजि तेरो
ईजा बौज्यु हुणा मेरो

नि कर भैजि मैथे बात
कुटि (नाराज) छू रे तेरो साथ
नि कर भैजि मैथे बात
मै अभागण बैणि तेरी
जबै ले जुण रे त्वैगे छोडि
तूँ कसके रोले भैजि मेरो
कौ पकालु तेरो भात
मेलि कुचलि लुकडि (कपडे) तेरो
कौ ध्वौल रे भैजि तेरो रे

कै रे भैजि…
म्यर मन पिड़ा नि समझे भैजि
कसि छू सैति पालि त्वील
ईजा बौज्यु प्यार ले तूँ छै
भै बैणि कूँ साथ ले तूँ छै
तेरो मेरो युँ बँन्धन
कसकै छोडु रे बँन्धन
बोल रे भैजि
मै अभागण बैणि तेरी

ओ रे बैणि…
हाथ कु रक्षा धाँगा बैणि
सुख दुख कि छै तूँ बैणि
म्यर मन धाँकणा (इच्छा) पुर करदे बैणि
मै अभागा भैजि तेरो
पाई पाई जोडि बैणि तेरो
त्यर ब्याँ करनु सुपणियु मेरो
ओ रे बैणि…
जबै तूँ बणलि ब्यौलि बैणि
सात फैरो मा रैँगि रैँगि
म्यर आँख्यु कु आँसू मा
पराई अमानत छै तूँ बैणि
रोक सँकु ना त्वैगे बैणि
ना युँ आँख्यु कु आँसू बैणि

सुनले मेरो बात रे बैणि
जबै सजल युँ डोला तेरो
भैजि आँख्युमा नि चैई बैणि
भैजि आँख्युमा नि चैई बैणि

मै अभागा भैजि तेरो
झट पकै दे तौलि भात
भँट्ट डुबुक मुलि थैचि नूर्णि स्वाद
फिर नि जाणि कभै मिल रे
त्यर पकाई हाथु भात
जी भरबै… खँवै दे बैणि आज
त्यर अभागा भैजि भुखो
त्यर अभागा भैजि भुखो

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

मय्या कै दर पे होली

Aside

हाट गौ कि कालका मय्या
दर पे तेरे होली लाऐ
साथ मे आऐ मँस्त मँलग हुँयार है आऐ
गुलाल लगा कै थाल सँजा कै
मय्या तेरे दर पे आऐ
“कोई तुझको कालि बोले
कोई बोले गौरि तुझको”
दर पे तेरे होली लाऐ
होली सँग भक्त है आऐ
मय्या तेरी महिमा गाऐ
मँस्त मँलग हुँयार है आऐ
‘तुझको रँगनै तुझको पुँजनै’
गुलाल लगा कै थाल सँजा कै
मय्या तेरे दर पे आऐ
नर कै नारि नान कै बुँढा

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चलो रे भँक्तोँ चलो रे बँन्धु
“बुँराश खिले गे ढोलँ बजे गे
मय्या कै दर पे गुलाल उडे गे”
दियाँ उठा कै बाँथ जला कै
शिव गौरि कि महिमा कर कै
गुलाल उँडाओ कालि कै दर पे

चलो रे भँक्तो चलो रे बँन्धु
ढोलँ उठाओ हुँड्डुक बँजाओ
मय्या कै दर पे गुलाल उँडाओ
चुनर भिजा कै गुलाल लगा कै
माँ मँमता कि महिमा गाँओ

काल रुँपणि कालका मय्या
दर पे तेरे होली लाऐ
“मय्या तेरे दर्शन के प्यासै
प्यास भुजा दे दर्शन दे कै”
भक्त है आऐ दर पे तेरे
थाल सँजा कै होली ले कै
मय्या तेरे दर पे आऐ

तूँ भय हरणि काल रुँपणि
श्याम वर्ण शोभित मुड़ माला
चक्र है धारि ञिशूल- भाला
काल रुँपणि कालका मय्या
दर पे तेरे होली लाऐ
थाल सँजा कै गुलाल लगा कै
हाट गौ कि कालका मय्या
सदा ही तेरी जय-जय कार
सदा ही तेरी जय-जय कार

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

छिलुँ जलै खौजि ल्यु

Aside

चल चला छिलुँ जलै
जलै जलै कि उजै फलै
अँन्धकौप सी पहाडुण गर्ब
गुम हैई सँस्कार हमाँरु
रित-रिर्वाज बिन उजै
रित-रिर्वाज बिन उजै

हिल-मिल पहाडि छिलुँ जलै
छिलुँ जलै कि हाथ सरै
खौजि-मौजि यु रण मै
कुँर्मो-गँड्डे सँस्कृति लौ मै
बुँढ-बाँढा रितु रैण
अण्यार पडै यु बटै घटै
पुश्त पुतै ले हेगै फाम
पुश्त पुतै ले हेगै फाम

चल चला रे चल पहाडि
धाँरु वाँरु पाँरु मा
पैद हैई यु माँटु मा
रित-रैज कु छिलुँ जलै
चार रितु कु आँठ रिर्वाज
छिलुँ जलै कि खौजि आज
बिति गै रै कदुक जमान
अन्धकौप सी पहाडुण गर्ब
“बिन पानि कु गगरि बोल
कै छु दगडि सँस्कृति मोल”

चल चला रे चल पहाडि
ज्युँ बिखरि छू रे हमँरु वन मा
खौजि लैणु बुढि आँखा
पुश्त पुतै आधार हमारोँ
जैकि टक टकि यु हमरि आँखा
चल चला छिलुँ जलै
जलै जलै कि उजै फलै
अँन्धकौप सी पहाडुण गर्ब
गुम हैई सँस्कार हमाँरु
रित-रिर्वाज बिन उजै
रित-रिर्वाज बिन उजै

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

‘तुमि बसि छा’ ‘तुमि छा देवोँ’

Aside

‘तुमि बसि छा’ ‘तुमि छा देवोँ’
उत्तँराचल कु आँचल मा
आँचल कु यु कण कण मा
देव बसि यु
गाड़ ग्धेरोँ माँटु मा
धार नँऊ कु बाँटु मा
तुमि रचैता तुमि छा देवोँ

शिव जँटा कु गंगा धार
गोऊ मुखि कु गौमती गाड़
डाँण्डि ढुँगि कु खूटि मा
छण छण पाणि कु ध्वनि
शँखनाँद तुमरोँ राति ब्याखुण
जोत जगि यु तुमँरु नौउ
तुमि बसि छा तुमि छा देवोँ
अत्तँराचल कु कण कण मा

‘तुमि छा लाटु’ ‘तुमि छा भैँरु’
देवभुमि कु भुँमाऊ देवोँ
तुमि रचैता तुमि छा देवोँ
मेघ घाम कु बण बौटि मा
फुल पात कु चाड़ पौथि मा
तुमि बसि छा तुमि छा देवोँ
उत्तँराचल कु कण कण मा

पाँच पुञ संग द्रोपति कुन्ति मय्या
एक रात कु रचना तुमरि
हाट गौ कु कालका मन्दिर
बैजनाथ मा ईष्ट देव कु शिव मन्दिर
तुमि रचैता तुमि छा देवोँ
अत्तँराचल कु कण कण मा

सब रुप छा बिखरि तुमरि गौत
देव वाँध्य मा तुमरि जोत
थाल हुँडुकि अवतारित हुँछा
बोल वचण कु तुमि रचैता
‘जूँ मरण कु गीत तुमि छा’
पैद हुण कु तुमि रचैता
मरण कु श्याँ तुमि बनैता
‘जूँ मरण कु गीत तुमि छा’
‘जूँ मरण कु गीत तुमि छा’

‘तुमि बसि छा’ ‘तुमि छा देवो’
अत्तँराखण्ड कु सस्कृति मा
तबै पडे यु नौ तुमाँरु
देव भुमि छा उत्तँराचल
‘तुमि रचैता’
‘तुमि बनैता’
‘तुमि बसि छा’
‘तुमि छा देवो’
अत्तँराचल कु कण कण मा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right पहाडि कविता ब्लाँग , All Rights Reserved

म्यर सुवा

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“प्रेम गुँछै कि छै तू सैणि
माय गुँछै कि छै तू सैणि”

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जन्म जमान्तर कि छै सैणि

एक लाख कु सवा सौ सैरि
सात फैरो कि छै तू सैणि
मन प्रेम कु दर्पण छै
एक चुटकि सिन्दर तै
तै सुहागण छै तू सैणि

तेरो मेरो यु धर्म
सात फैरो कु सात कसम
हैँसि खेलि निर्भे दे सैणि यु धर्म

जूँ मरण कु गीत सदा
चलते रुणि म्यर सुवा
माय नि जान जौसर तै
ना सुवा कु प्रीत तेरी
ना इज-बबै यु रित तेरी
रै जै यु दुनि
हे सुवा रिश्तो कु जन जाल यथै
चार दिनु कु जूँ मिले
हैँसि खेलि निर्भे दे सैणि यु धर्म

मि ता नि रु सदा यु मेरो बोल
जब कबै याद जू आला
आँख मा आसू नर्म ता हाल

सदा नि रुणि एक मुलार
जूँ मँरण कु गीत सदा
चलते रुणि म्यर सुवा
चलते रुणि म्यर सुवा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 copy right sundarkabdola , All Rights Reserved