‘तुमि बसि छा’ ‘तुमि छा देवोँ’

‘तुमि बसि छा’ ‘तुमि छा देवोँ’
उत्तँराचल कु आँचल मा
आँचल कु यु कण कण मा
देव बसि यु
गाड़ ग्धेरोँ माँटु मा
धार नँऊ कु बाँटु मा
तुमि रचैता तुमि छा देवोँ

शिव जँटा कु गंगा धार
गोऊ मुखि कु गौमती गाड़
डाँण्डि ढुँगि कु खूटि मा
छण छण पाणि कु ध्वनि
शँखनाँद तुमरोँ राति ब्याखुण
जोत जगि यु तुमँरु नौउ
तुमि बसि छा तुमि छा देवोँ
अत्तँराचल कु कण कण मा

‘तुमि छा लाटु’ ‘तुमि छा भैँरु’
देवभुमि कु भुँमाऊ देवोँ
तुमि रचैता तुमि छा देवोँ
मेघ घाम कु बण बौटि मा
फुल पात कु चाड़ पौथि मा
तुमि बसि छा तुमि छा देवोँ
उत्तँराचल कु कण कण मा

पाँच पुञ संग द्रोपति कुन्ति मय्या
एक रात कु रचना तुमरि
हाट गौ कु कालका मन्दिर
बैजनाथ मा ईष्ट देव कु शिव मन्दिर
तुमि रचैता तुमि छा देवोँ
अत्तँराचल कु कण कण मा

सब रुप छा बिखरि तुमरि गौत
देव वाँध्य मा तुमरि जोत
थाल हुँडुकि अवतारित हुँछा
बोल वचण कु तुमि रचैता
‘जूँ मरण कु गीत तुमि छा’
पैद हुण कु तुमि रचैता
मरण कु श्याँ तुमि बनैता
‘जूँ मरण कु गीत तुमि छा’
‘जूँ मरण कु गीत तुमि छा’

‘तुमि बसि छा’ ‘तुमि छा देवो’
अत्तँराखण्ड कु सस्कृति मा
तबै पडे यु नौ तुमाँरु
देव भुमि छा उत्तँराचल
‘तुमि रचैता’
‘तुमि बनैता’
‘तुमि बसि छा’
‘तुमि छा देवो’
अत्तँराचल कु कण कण मा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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