“प्रेम गुँछै कि छै तू सैणि
माय गुँछै कि छै तू सैणि”
जन्म जमान्तर कि छै सैणि
एक लाख कु सवा सौ सैरि
सात फैरो कि छै तू सैणि
मन प्रेम कु दर्पण छै
एक चुटकि सिन्दर तै
तै सुहागण छै तू सैणि
तेरो मेरो यु धर्म
सात फैरो कु सात कसम
हैँसि खेलि निर्भे दे सैणि यु धर्म
जूँ मरण कु गीत सदा
चलते रुणि म्यर सुवा
माय नि जान जौसर तै
ना सुवा कु प्रीत तेरी
ना इज-बबै यु रित तेरी
रै जै यु दुनि
हे सुवा रिश्तो कु जन जाल यथै
चार दिनु कु जूँ मिले
हैँसि खेलि निर्भे दे सैणि यु धर्म
मि ता नि रु सदा यु मेरो बोल
जब कबै याद जू आला
आँख मा आसू नर्म ता हाल
सदा नि रुणि एक मुलार
जूँ मँरण कु गीत सदा
चलते रुणि म्यर सुवा
चलते रुणि म्यर सुवा
लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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