दर्प-दहा

“दर्प-दहा”

कैकु भल जै हैई
दर्प-दहा यु पैलि रैई
कैकु घर मा लागि
यु बण मा लागि
सदाबहार…
जेठ कु चड़कण घाम कू जैसोँ
छाँव मिलो ना ठण्डोँ पानि
दर्प-दहा ज्युँ दिल मा मेरोँ
मैत कु दब्यत सौरास पुकारि
पुजण मा रुणि साल महेण
दर्प-दहा यु सैणि-मैसि
लडणु-झगणु ऊमर यु गुजरि
दर्प-दहा मा दुनिया छाडि
छाडि सबै…
जैक लिजि दर्प-दहा
जैक लिजि दर्प-दहा

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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