आज-कलक-ब्वारि

सैणि लट कुन्दि मुँह
मिले आणु तुमर दगडि
साँसु भल नि करनी म्यर दगडि
ना देन्दि लुकुडि खुट कु चपल
मै नि रेन्दि तुमर कुडि मा
परदेश लि जावा
नै तै जाणू आपण मैति मा
त्यर ईज…
“बूत-बते यदुक भागा-भागा
कमर ले हैगेँ म्यर आदा-आदा”
त्यर ईज गाई देन्दि मिगि
बुत-बुत कर कैन्दि मिगि
रँग रुप ले फिकि छा
त्यर ईज ले कभतै भल करिया छा
कौतिक बार…मैतक छुट्टि
गिन-गिन बे देन्दि छा

“मैसल माणि सैण उजाणि
मण-मण हैगो माँ उजाणि”

जैल धरि नौ महण
दुख मा रैबे
ठण्ड पूष मा गिल मा जबै
उगणि रखि सुख मा हैबे
सुख-दुखै मा…
ममता कु आँचल उडाई
अँगुलि पकडि दुनिया देखि
माँ हैबेर सैणि छा कै

एक तराजु तौल है कैसा
एक तराजु तौल है कैसा
माँ अर सैणि तौल बराबर
नाप तौल मा कै छू गड-बड
आपण पराई मा भेद के करनी
एक तराजु माँजि-सैणि
तौल बराबर दुनियादारी
माँ तराजु सब से उपर
माँ तराजु सब से उपर

“सैणि एक रव्टु आध हिस्स हुन्दि
पर पुर रव्ट मा माँ कु हँक हुन्दा”

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
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