“रै मिस्तरि”

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“रै मिस्तरि”

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गार-माट कु उ चिनाई
अजर-अमर हैगिण रै
अब का ढुँढू….?
रै मिस्तरि

चार क्वाणोँ मा शैल धरि
राज मिस्तरि त्यर नौ पडि
पुरान कुडि मा छाप गडि
हाथ हतौडा कुरता पजामा
ख्वर मा वैकु टोपि रै
यु वेशभूषा मा…
पुरान कुडि कु मिस्तरि रै
कै छा देखि दगडियोँ तुमले
चार दिनोँ कु भुखे प्यासु

रै मिस्तरि
पुरान कुडि ले झर-झर हैगिण
एक रिपेयरिँग कर जा रै
बाँस-पात्थरा हिलणि हैगिण
दवार-पटला दिमंगि गिण
सौण-भादोँ सी…
गाड-ग्धेरोँ..म्यर भतैरोँ
ओ रे दगडियो
कथै हैराइण यु मिस्तरि
खोज खबर कर ल्यौव रै
“एक रिपेयरिँग पुरान कुडे तै”

वैकु जस…
‘interior’ धारि
का छु रै यु बखत
का छु रै यु बखत

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

सबै हैगिण छल- बल पहाडि

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सबै हैगिण छल-बल पहाडि
दुर दँराजु नँगरु किनाँरु
गौ ले लागणो यु सुनसान
बँखाई मा लागि यु वरदान
सिमट गये रे घर परिवार
ना सुख-दुख कैकु मनमा आज
मस्त मँलग यु अपणु आप
जूँउ तरिकु ले बदलि गै

सबै हैगिण छल-बल पहाडि
पढि लिखि तुम अनपँढ छा

“पता नही है तुमको आज”

‘अपणु सँस्कृति कु आधार
बोलि-भाषा कु व्यवहार’

एम॰ए-बी॰ए तुम अनपँढ छा
बोलि-भाषा ममी-डेडि
कँहा गये रे ईजा-बौज्यु …?

सबै हैगिण छल-बल पहाडि
दि डबलु कु टुकुडि मा
एक घुँट कु दाँरु मा
दँबग बनि तुम लोटि ऊँछा
दि चार दिनु कु छुट्टि मा
“दँबग गैई यु तुमरि देखि”

गौ कु बाँटु तै दँबग
ब्यौ-बँरातु तै दँबग
बोलि-भाषा तै दँबग
फैन्शि-फैशन तै दँबग
गिज-खापडि तै दँबग
डँबलु वालु तै दँबग
कै यु छा तुमरि यु दँबग …?

बुँढ-बाँढि एक नजर
कैथे बोलि उ नजर
धुँधलित दैखणि वैक उँमर
यौवन छाडि बुँढि हैगे
सार ऊमर हाँट-बाँट तोडि
तै बनि
यु पहाड यु दँबग
यु पहाड यु दँबग

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बोलो दगडियोँ कौन दँबग …?

सबै हैगिण छल-बल पहाडि
रित कु र्कज निभे दे आज
बँखाई मा जोडो कल कु बात
कुड पाँथरि अण्यार उजैलि
धात लगुणो यु पहाड
पुरैण जमान कु पुरैण रिर्वाज
बुँढ-बाँढि कु यु आँखण
आज निभे दे यु रिर्वाज
गुजर जमान कु झँवड- चाँचरि
बुँढ-बाँढि कु यु नजर
तरसि गी रे यु डगर
हुँडकि-बौल थाल नचै दे
बुढिण आँखण चमक जगै दे
चिमडि ग्लाँड हँसि दिखै दे

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved

कै लिखदूँ (पलायन का र्दद)

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मी यस कै लिखदूँ
त्यर आँखा भरदूँ
बोल पँहाडि परदेशी
कै लिखदूँ…

बुँढि ईजा कू आँख्यु कु स्याहि
कलम डूँबै बै
ईजा कु किमत आँसू मा रचँदु
जैकु बगणु आँखण आँसू
नहर किनारुँ बौल किनारुँ
पुश्तैणि धरति सिचणु कु काँरु
आँखण आँसू खेत- खलियाण मेड़ मा बैठि
पुतैई दगैई वैकु सुख- दुख हैगे
आँखा आँसू खेत मा बरकि
हरि- भरि यु खेत ले हैगे

बोल पँहाडि परदेशी
कै लिखदूँ…
बुँढ- बाँप कु छैई तू लाँठि
कसि बतु मि.. ओ ईजा
परदेशी हैगो उ लाँठि
ज्युँ छि बुढिण काँऊ कु तुमरि लाँठि
परदेशी हैगो सैण दगडि उ लाँठि

बोल पँहाडि परदेशी
कै लिखदूँ…
कस उगैई यु फसल
जबै बनेलै तू ले बौज्यु
त्यर सैण ले होलि कैकि ईजा
जस उगैई यु फसल
यु पिड़ै… याद करि मेहसूस ले हाल
किले कि दगडि
जस उगैई वस कटैई
जस उगैई वस कटैई

लेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड
© 2013 sundarkabdola , All Rights Reserved